नीरज उत्तराखंडी
आसमान से छूटे खजूर पर अटके। जी हां ऐसी ही कुछ हालत है टमाटर की फसल खराब हुए किसानों की। उद्यान विभाग की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी किसानों की आजीविका पर भारी पड़ रही है। और उद्यान विभाग द्वारा काश्तकारों को निम्न गुणवत्ता का बीज दिये जाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
जनपद देहरादून के पर्वतीय जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की तहसील त्यूनी के ग्राम पंचायत कुल्हा के विऊलोग तथा मुन्धोल ग्राम पंचायत के चांदनी वस्ती खेड़ा में एक दर्जन से अधिक किसानों ने टमाटर की नगदी फसल की खेती इस उम्मीद से की थी कि उनकी आर्थिक मजबूत होगी और घर का खर्चा भी चलेगा साथ ही दवा खाद का व्यय भी वसूल होगा। लेकिन उन्हें क्या पता था की उद्यान विभाग ने जो टमाटर का कथित जैविक बीज उन्हें उपलब्ध करवाया है, वह निम्न गुणवत्ता का होगा और उनकी मेहनत और उम्मीद पर पानी फेर देगा।
बताते चलें कि उद्यानविभाग ने डेढ़ दर्जन से अधिक काश्तकारों को क्षेत्र में पीकेबीवाई के अंतर्गत टमाटर का जो कथित जैविक बीज देकर दावा किया कि यह उत्तम गुणवत्ता का बीज है। इससे पैदावार अच्छी होगी और उन्नत गुणवत्ता के फल लगने से बाजार में इसकी मांग काफी है, जो कम लागत पर अधिक उत्पादन देता है। जिससे आर्थिकी को संभल मिलेगा और आय अर्जित करने का एक बड़ा जरिया साबित होगा। लेकिन वक्त ने विभाग के सारे दावे और बीज की हकीकत की पोल खोलकर रख दी। दिन रात पसीने से नहाने वाले किसानों के खून पसीने मेहनत मिट्टी में मिल गई। बीज और फल इतना घटिया निकला कि किसानों को टमाटर खेत में ही छोड़ने को मजबूर होना पड़ा ।
टमाटर के मरियम पौध उस पर लगे निम्न गुणवत्ता के टमाटर जिसकी कोई बाजार वैल्यू नहीं । किसानों ने जब विभाग को अवगत कराया तो टीम ने खानपूर्ति के लिए खेतों का निरीक्षण तो किया लेकिन किसानों को क्षतिपूर्ति की कोई भरपाई की और न ही मुआवजा ही दिया गया ।
ज्ञान सिंह, सुरत सिंह, नरेन्द्र, जवाहर सिंह प्रताप सिंह, सुमित्रा देवी, प्रकाश, कमाल चंद, भगत राम हरिमोहन आदि काश्तकारों ने बताया कि विभाग द्वारा उन्हें बीज दिया गया वह घटिया गुणवत्ता का निकला जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। फसल जब फलन में आई तो उसका फल बेकार निकला जो घटिया गुणवत्ता के चलते बाजार भाव की प्रतिस्पर्धा में पीट गया। घटिया उत्पादन के जलते टमाटर तोड़ना ही छोड़ना। काश्तकारों ने मुख्य उद्यान अधिकारी को ज्ञापन भेजकर उचित मुआवजा दिये जाने की मांग की है ।
इस संबंध में जब काश्तकारों को दिये गये विभाग के अधिकारी जसोला के मोबाइल नंबर पर उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया गया तो संपर्क नहीं हो सका।