देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की निवर्तमान प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने करोना काल के दौरान अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार के ई-बुक लॉन्च पर बधाई देते हुए कुछ छूट गई बातों की याद दिलाई है।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार ने करोना काल के दौरान किए गए अपने कार्यों और उपलब्धियों का ब्यौरा ई- बुक के द्वारा जनता के सामने रखने का निर्णय लिया। लेकिन अच्छा होता यदि सरकार क्वारन्टीन सेंटर की बदहाली पर भी रोशनी डाल देती और अच्छा होता यदि सरकार 18 अगस्त को गैरसैण में हुई गर्भवती महिला की मौत और 21 अगस्त को अल्मोड़ा में अस्पताल में भर्ती होने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने वाली गर्भवती महिला इलाज के अभाव में जिसकी मौत हो गई, उसका ब्यौरा भी डालते । अच्छा होता यदि बेतालघाट में क्वारन्टीन सेंटर में 4 साल की बच्ची की जहरीले सांप के काटने से मौत का भी उसमें जिक्र होता।

ताज्जुब है सरकार आप देहरादून के क्वारन्टीन सेंटर में कथित आत्महत्या के बाद एक युवक के 3 दिन बाद शव की पड़ताल की उपलब्धि का जिक्र करना क्यों भूल गए। वैसे क्वारन्टीन सेंटर में मरीजों को जो गन्दा खाना परोसा गया उसको बताना जरूरी था। दसोनी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास में क्वारन्टीन सूबे के मुखिया कर उंगली उठाने की हिम्मत कौन कर सकता है। लेकिन प्रदेश की जनता के हाल बेहाल इसलिए है क्योंकि प्रदेश की अफसरशाही ने भी मुख्यमंत्री की तरह खुद को सचिवालय में क्वारन्टीन कर लिया है।

दसोनी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि इस पूरे कोरोना काल के दौरान जिस तरह से सरकार द्वारा दोहरे मापदंड अपनाए गए। चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, पूरे प्रदेश में सड़कों का बुरा हाल है। चूंकि आपने कोरोनकाल की उपलब्धियों का जिक्र किया तो उसमें एक लाइन और बढ़ा देते कि आपके लैब बढ़ाने के बावजूद भी कमोबेश 15,000 से ज्यादा सैंपल का बैकलॉग क्यों है। उसे भी यदि सरकार जनता को रूबरू कराती तो बेहतर होता।

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