अध्यात्म और आस्था के लिए प्रसिद्ध इस पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की अपनी अलग पहचान है। यहां कई ऐसे धार्मिक स्थान मौजूद हैं जिनका संबंध पौराणिक काल से है। प्राचीन ऋषि परंपरा की जड़ों को थामे उत्तराखंड दुनिया के चुनिदा धार्मिक पर्यटन केंद्रों मे गिना जाता है। यहां दूर-दूर से सैलानी आकर आत्मिक और मानसिक शांति का अनोखा अनुभव प्राप्त करते हैं।

कई सालों से कर रही रक्षा…

वैसे तो यहां में अनगिनत छोटे-बड़े मंदिर मौजूद हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां की देवी उत्तराखंड की रक्षक मानी जाती है। वैसे तो आपने देवभूमि के कई चमत्कारी मंदिरों और देवी-देवताओं के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको उन देवी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई सालों से पहाड़ों की रक्षा कर रही हैं।

माता धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी के रूप में जाना जाता है। देवी का यह पवित्र मंदिर बद्रीनाथ रोड पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है । धारी देवी की मूर्ति का ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी में बहकर यहां आया था तब से मूर्ति यही पर है । तब से यहां देवी “धारी” के रूप में मूर्ति पूजा की जाती है । मूर्ति की निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां माता काली के रूप में आराधना की जाती है ।

एक रात जब भारी बारिश के चलते नदी में जल बहाव…

मंदिर में स्थित पुजारियों के अनुसार एक रात जब भारी बारिश के चलते नदी में जल बहाव तेज था । धारी गाँव के समीप एक स्त्री की बहुत तेज ध्वनि सुनाई दी , जिससे गाँव के लोग डर गए , कि किसी स्त्री के साथ कोई अनहोनी ना हो गयी हो । जब गाँव के लोगों ने उस स्थान के समीप जाकर देखा तो वहाँ गाँव के लोगों को पानी में तैरती हुई एक मूर्ति दिखाई दी । किसी तरह ग्रामीणों ने पानी से वो मूर्ति निकाली और मूर्ति निकालने के बाद कुछ ही पल में देवी आवाज ने उन्हें मूर्ति उसी स्थान पर स्थापित करने के आदेश दिये , तब से धारी गाँव के लोगों ने इस स्थल को धारी देवी का नाम दिया।

देवी दिन के दौरान अपना रूप बदलती…

देवी दिन के दौरान अपना रूप बदलती है । स्थानीय लोगों के मुताबिक, कभी एक लड़की, एक औरत, और फिर एक बूढ़ी औरत का रूप बदलती है । मंदिर में माँ धारी की पूजा-अर्चना धारी गाँव के पंडितों द्वारा किया जाता है। यहाँ के तीन भाई पंडितों द्वारा चार-चार माह पूजा अर्चना की जाती है । मंदिर में स्थित प्रतिमाएँ साक्षात व जाग्रत के साथ ही पौराणिककाल से ही विधमान है ।

धारी देवी को मूल स्थान से हटाने की कोशिश की थी , तब भी…

धारी देवी को चार धामों के रक्षक के रूप में सम्मानित किया गया है । जब देवी की मूर्ति को उसके स्थान से हटा दिया गया तो कुछ ही घंटो बाद उस क्षेत्र में बहत बड़ा बादल फटा ।श्रद्धालुओं के अनुसार इस क्षेत्र को देवी के क्रोध का सामना करना पड़ा क्यूंकि देवी को 330 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना के लिए रास्ता बनाने के लिए उनके मूल स्थान से स्थानांतरित किया गया था । एक स्थानीय राजा ने भी 1882 में धारी देवी को मूल स्थान से हटाने की कोशिश की थी , तब भी केदारनाथ में भूस्खलन हुआ था ।

कैसे पहुंचे…

माँ धारी देवी का मंदिर जौली ग्रांट एयरपोर्ट से 136 किलोमीटर और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से 119 किलोमीटर पर स्थित है। धारी देवी मंदिर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच कल्यासौर में स्थित है। श्रीनगर-धारी देवी और धारी देवी-रुद्रप्रयाग के बीच क्रमश: 16 किमी और 20 किमी दूर है। श्रीनगर और रुद्रप्रयाग से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here