हरिद्वार: हरिद्वार में हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन का पूरा अमला धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की कार्रवाई करने के लिए मौके पर पहुंचा। मगर प्रशासन को स्थानीय लोगों के साथ-साथ बीजेपी विधायकों का भी विरोध झेलना पड़ा। पथरी थाना क्षेत्र के बादशाहपुर में रविदास मंदिर को तोड़े जाने के विरोध में भारी संख्या में स्थानीय निवासी मौके पर इकट्ठा हो गए।

सूचना मिलते ही बीजेपी से स्थानीय हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल हरिद्वार ज्वालापुर विधायक सुरेश राठोर और हरिद्वार रानीपुर विधायक आदेश चौहान मौके पर पहुंचे और उनके द्वारा मंदिर तोड़े जाने का विरोध किया गया और इस मामले पर मुख्यमंत्री से वार्ता करने की बात कही गई। वही भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं की झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल से तीखी नोकझोंक तक हुई मौके पर पुलिस द्वाराा मामले शांत कराया गया।

रविदास मंदिर तोड़े जाने को लेकर स्थानीय निवासियों का कहना है कि हमको सिर्फ मंदिर चाहिए, चाहे हमारी जान भी चली जाए और जिस जगह पर मंदिर बना है वहीं पर चाहिए, हमको किसी और जगह पर मंदिर नहीं चाहिए। यह मंदिर हमारा यहां पर काफी पुराना स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सरकार हमसे है मगर हमारे ऊपर ही अत्याचार किए जा रहे हैं। इस मंदिर को हम किसी भी हाल में तोड़ने नहीं देंगे क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की धरोहर है चाहें हमारी जान क्यों ना चली जाए हम इसे यहां से हटने नहीं देंगे।

वही मौके पर पहुंचे झबरेड़ा से बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल का कहना है कि रविदास जी का यह मंदिर 1992 में इस समय लेखपाल है। उस समय भी वह लेखपाल थे उन्होंने प्रस्ताव किया था मंदिर की जमीन के लिए इस मंदिर को नियम अनुसार अलॉट किया गया। ग्राम पंचायत के द्वारा जब वही लेखपाल और वही प्रशासन इस मंदिर का अलॉटमेंट करता है तो आज यह इस लैंड को तलाब कैसे घोषित कर रहे हैं। यह बहुत ही गलत है यह भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। प्रशासन द्वारा गलत कार्य किया जा रहा है। हमें उच्च न्यायालय का आदेश भी मानना है और जन भावना को भी देखना है।

वही हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद का कहना है कि जब मंदिर का निर्माण हुआ उस समय जिलाधिकारी और तहसीलदार द्वारा क्यों मंदिर बनने दिया। आखिर किसके दबाव में मंदिर के निर्माण होते हैं। इन मंदिरों को तोड़ने की बात की जा रही है मगर यह मंदिर नहीं टूटेगा इस मामले में हम मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे। यह प्रशासन की पूरी गलती है क्योंकि प्रशासन द्वारा मंदिर तोड़ने की स्थानीय निवासियों को कोई सूचना नहीं दी गई। अगर यहां पर कानून व्यवस्था खराब होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अधिकारी की होगी और वह जेल जाएंगे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरिद्वार में कई धार्मिक स्थानों को तोड़ने पहुंची प्रशासन की टीम को स्थानीय लोगों के साथ-साथ बीजेपी विधायकों का भी विरोध झेलना पड़ा, मगर अभी तक प्रशासन द्वारा धार्मिक स्थानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। अब देखना होगा स्थानीय लोगों और बीजेपी विधायकों के दबाव में प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, क्योंकि हाईकोर्ट के साफ आदेश है कि जल्द ही इन धार्मिक स्थानों को तोड़ा जाए। वही प्रशासन का कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचता नजर आ रहा है।

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