उत्तराखंड की खूबसूरती, परंपरा, पर्यटन स्थल, धार्मिक स्थल और उत्तराखंड के व्यंजन कोई कभी भूल के भी नहीं भूल सकता है। वहीं आज हम आपको एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको सिर्फ उत्तराखंड में ही खाने को मिलेगी। यूं तो आप कई शादियों में गए होंगे, कई रीति-रिवाज आपने देखे होंगे, लेकिन अगर आप गढ़वाल कि किसी शादी में जाएं या आप गढ़वाली हो तो आपने यह मिठाई जरूर खाई होगी। जी हां इसका नाम है अरसा जिसको हम कलेऊ केे नाम से भी जानते हैं।

आज भी हमारे उत्तराखंड मे हर शादी-समारोह में सबसे पहले अरसे ही बनते हैं। इसे एक बार मुंह में रख लीजिए, तो कभी ना भूलने वाली मिठास मुँह में घुल जाती है। आज खाइए या कल खाइए या एक महीने बाद, अरसे का स्वाद ताउम्र एक जैसा रहेगा। अक्सर हम जब गांव की शादी में जाते है तो सुबह-सुबह गांव की महिलाओं को भीगे हुए चावल कूटने के लिए बुलाया जाता है जिसे पीडू कहा जाता है और गाँव के बुजुर्ग स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। जिसमें गुड़ की मिठास, सौंफ, चावल का आटा मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है गढ़वाल में शादी समारोह में अरसे क्यों बनते हैं और ये चलन कहां से आया..तो आईये आपको बताते है इसका इतिहास…

अरसे का कनेक्शन बेहद धार्मिक है। दरअसल जगतगुरू शंकराचार्य ने बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके अलावा गढ़वाल में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका निर्माण शंकराचार्य ने करवाया था। इन मंदिरों में पूजा करने के लिए दक्षिण भारत के ही ब्राह्मणों को रखा जाता है। कहा जाता है कि नवीं सदी में दक्षिण भारत से ये ब्राह्मण गढ़वाल में अरसालु लेकर आए थे। क्योंकि ये काफी दिनों तक चल जाता है, तो इसलिए वो पोटली भर-भरकर अरसालु लाया करते थे। धीरे धीरे इन ब्राह्मणों ने ही स्थानीय लोगों को ये कला सिखाई। गढ़वाल में ये अरसालु बन गया अरसा। 9वीं सदी से अरसालु लगातार चलता आ रहा है, यानी इतिहासकारों की मानें तो बीते 1100 साल से गढ़वाल में अरसा एक मुख्य मिष्ठान और परंपरा का सबूत था।

लेकिन आज सोचने वाली बात ये है कि हम इसे लगातार भूलते जा रहे हैं। आज आप किसी गढ़वाली से पूछेंगे कि अरसा क्या होता है ? काफी युवा ऐसे होंगे, जो अरसे की जगह फास्ट फूड को तरजीह देंगे। अरसा केवल हमारी संस्कृति ही नहीं बल्कि शरीर के लिए बेहद की पौष्टिक आहार है। शरीर में शक्ति और ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल होता था।

 

 

 

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