देहरादून: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर उत्तराखंड के विधायकों ने भी उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। और जैसे ही जन्मदिन की शुभकामनाएं सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के लोगों ने देखा उत्तराखंड के लोग भड़क उठे और विधायक जी के फेसबुक कमेंट में उन्हें गालियां पड़ने लगी।

आपको बता दें कि उत्तराखंड आंदोलन के समय जब उत्तर प्रदेश से पृथक राज्य की मांग को लेकर आंदोलन हो रहा था तो तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे और मुलायम सिंह के गुंडा पुलिस ने हमारे उत्तराखंड के आंदोलनकारी मां बहनों और जितने भी आंदोलनकारी थे उनके साथ बर्बरता पूर्ण व्यवहार किया और तब से लेकर आज तक उत्तराखंड के लोग मुलायम सिंह यादव से बहुत चिढ़ते हैं और जो आंदोलनकारी हैं वह मुलायम सिंह का पूरी तरीके से विरोध करते हैं।

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वहीं दूसरी ओर इतने बड़े आंदोलन के बाद जब उत्तराखंड राज्य मिला तो आज यही के नेता चाहे सत्ता में बैठे विधायक हो या विपक्ष के नेता हो उन्हीं मुलायम सिंह को बधाई देते नहीं थक रहे हैं। जी हाँ 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन था और आप साफ तरीके से महेंद्र भट्ट के फेसबुक वॉल पर देख सकते हैं कि किस तरीके से उत्तराखंड के लोग उनको कमेंट में जवाब दे रहे हैं। आपको बता दें कि विधायक महेंद्र उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अपने फेसबुक के माध्यम से बधाई दी थी और उनको कमेंट में खूब गालियां पड़ी।

आपको बता दें कि 1994 में जब उत्तराखंड राज्य बनाने की मांग उनके जैसे अन्य आंदोलनकारियों ने उठाई उस वक्त उत्तरप्रदेश के सीएम मुलायम सिंह यादव थे। उस दौरान मुलायम सरकार ने उत्तराखंडियों का आंदोलन रोकने का हर मुमकिम प्रयास किया। मुलायम सिंह यादव के कहने पर ही आंदोलनकारियों के साथ बर्बता की गई। महिलाओं के साथ दुराचार किया गया। उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर अत्याचार भी किया।

20 आंदोलनकारी हुए थे शहीद..

रामपुर तिराहे में आंदोलनकारियों को रोके जाने के बाद उनपर पर ताबातोड़ गोलियां बरसाई गई थी। इस गोलीकांड में 7 आंदोलनकारी शहीद हुए थे, जबकि 15 से ज्यादा घायल हुए थे। इसके ठीक 2 महीने बाद 1 सितंबर 1994 को ये कांड दोबारा खटिमा में दोहराया गया। यहां भी शांतीपूर्व आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों पर हमला हुआ जिसमें भी सात आंदोलनकारी शहीद हुए। वही 2 सितंबर को मसूरी में खटिमा कांड के विरोध में उतरे आंदोलनकारियों पर भी पुलिस ने गोलियां बरसाई, इस कांड में 6 आंदोलकारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

 

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