देहरादून: उत्तराखंड में श्रम विभाग के लिए बनाई गई अधीनस्थ श्रमसेवा नियमावली-2020 के लागू होने से अधिकारियों के प्रमोशन के रास्ते में अवरोध पैदा हो गया है।
आपको बता दें कि अधीनस्थ श्रमसेवा नियमावली- 2020 के अनुसार किसी भी अधिकारी पद पर प्रमोशन के लिए पहले पांच वर्ष सेवा अवधि का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर अब सात वर्ष कर दिया गया है। इसका परिणाम यह हुआ कि विभाग में उपश्रमायुक्त से लेकर श्रम प्रवर्तन अधिकारी तक के 25 पद खाली हैं, लेकिन प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं।
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इसके अलावा श्रम प्रवर्तन अधिकारी स्तर के एक-एक अधिकारी पर खाली पदों के अधिकारियों के काम का भी बोझ है, जिसके कारण काम प्रभावित हो रहा है। श्रम प्रवर्तन अधिकारियों को अपने काम के साथ-साथ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े कार्यों की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ रही है। उत्तराखंड शासन ने श्रम विभाग की नई अधीनस्थ श्रम सेवा नियमावली- 2020 को मंजूरी देकर इसे लागू किया है। इसमें श्रम प्रवर्तन अधिकारी और फिर सहायक श्रमायुक्त के पद थे। इससे ऊपर पद पर प्रमोशन के लिए सात वर्ष एक ही पद पर कार्य करने की वरिष्ठता का प्रावधान कर दिया गया है।
पहले यह अवधि केवल पांच वर्ष की थी। पहले मिनिस्टीरियल स्टाफ में से श्रम प्रवर्तन अधिकारी व श्रम प्रवर्तन अधिकारी से सहायक श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त पद से उपश्रमायुक्त पदों पर प्रमोशन होने पद रिक्त पद भर जाते थे लेकिन अब सात वर्ष की शर्त से इसमें देरी हो रही है।
कुमाऊं मंडल में दो उपश्रमायुक्त कार्यालय हैं। हल्द्वानी स्थित उपश्रमायुक्त कार्यालय में उपश्रमायुक्त का पद रिक्त चल रहा है। ऊधमसिंह नगर उपश्रमायुक्त कार्यालय में नियुक्त उपश्रमायुक्त विपिन कुमार के पास हल्द्वानी के साथ ही उपश्रमायुक्त मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार है। इसी तरह पिथौरागढ़ और हरिद्वार में सहायक श्रमायुक्त के रिक्त पदों का कार्य दूसरे अधिकारी देख रहे हैं।