देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से पहले ही घमासान मचा हुआ है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग की थी। उनके इस बयान पर इंदिरा हृदयेश ने सवाल उठाया तो, हरदा ने जवाब में एक और बयान जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि था कि प्रीतम सिंह को ही कप्तान बना दें। इंदिरा जी के नाम पर भी कोई ऐतराज नहीं है। अब उन्होंने एक और बयान जारी कर एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया हैं।

सोशल मीडिया में लिखी पोस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखा है कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा? यदि मेरे सम्मान में यह संकोच है तो मैंने स्वयं अपनी तरफ से यह विनती कर ली है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जायेगा मैं, उसके पीछे खड़ा हूंगा। रणनीति के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है कि हम भाजपा द्वारा राज्यों में जीत के लिये अपनाये जा रहे फार्मूले का कोई स्थानीय तोड़ निकालें।

स्थानीय तोड़ यही हो सकता है कि भाजपा का चेहरा बनाम कांग्रेस का चेहरा, चुनाव में लोगों के सामने रखा जाय, ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें। मेरा मानना है कि ऐसा करने से चुनाव में हम अच्छा कर पाएंगे, फिर सामूहिकता की अचानक याद क्यों? जो व्यक्ति किसी भी निर्णय में, इतना बड़ा संगठनात्मक ढांचा है पार्टी का, उस रुढांचे में कुछ लोगों की संस्तुति करने के लिए भी मुझे आल इंडिया कांग्रेस कमेटी का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।

उस समय सामूहिकता का पालन नहीं हुआ है और मैंने उस पर कभी आवाज नहीं उठाई है। पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, मैंने उस पर भी कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया। यहां तक की मुझे कभी-कभी मंचों पर स्थान मिलने को लेकर संदेह रहता है तो, मैं अपने साथ अपना मोड़ा लेकर के चलता हूं। ताकि पार्टी के सामने कोई असमंजस न आये, तो आज भी मैंने केवल असमंजस को हटाया है, तो ये दनादन क्यों?

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