झारखंड: जमशेदपुर शहर के स्ट्रैट माइल रोड के आउट हाउस में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली नन्ही सी बच्ची तुलसी को पढ़ने के लिए अब आम नहीं बेचना पड़ेगा। आम ने ऐसे फरिश्ता से उसे मिलवाया कि उसकी किस्मत ही बदल गयी। अब उसका शिक्षिका बनने का सपना पूरा हो सकेगा।

बागुन्हातु सरकारी स्कूल में पांचवी क्लास में पढ़ने वाली तुलसी पढाई छोड़ने के कगार पर पहुंच गई थी। वह ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए मोबाइल खरीदना चाह रही थी, जिसके लिए वह आउट हाउस के पेड़ से गिरे आम सड़क किनारे बैठकर बेचने लगीं।

इसी दरम्यान एक अनजान फरिश्ता आया, जिसने तुलसी के पढ़ने की लालसा के बारे में वैलुएअबल एडुटेन्मेंट के प्रबंध निदेश अमेयाहेते को बताया। उन्होंने उसके पिता श्रीमन कुमार और माता पद्मिनी से मुलाकात की। उन्होंने उसे एक लाख 20 हजार रुपये उसके पिता के बैंक खाते में बेटी के नाम से फिक्स करवा दिए ताकि उसका भविष्य उज्ज्वल बन सकें।

इसके साथ ही तुलसी के पाठ्यक्रम की पुस्तकें और ऑनलाइन पढाई करने के लिए मोबाइल खरीद कर दिया। मोबाइल भी एक साल के लिए रिचार्ज करा दिया। एडुटेंमेंट के प्रबंध निदेशक अमेयाहेते ने बताया कि तुलसी के पिता की कोरोना में नौकरी चली गयी है। ऐसे में बच्ची के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित थे। अब तुलसी की पढ़ाई का खर्च वे समय-समय पर उठाते रहेंगे।

तुलसी ने बताया कि अब वह स्वयं पढाई करेगी और साथ मे दो बहनें रोशनी तथा दीपिका को भी पढ़ाएगी। उसका सपना है कि तीनों बहन टीचर बनकर गरीब बच्चों के बीच शिक्षा का प्रसार करेंगी, जिससे कोई भी गरीब शिक्षा से वंचित न रह सके।

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