नई दिल्ली: अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सीधे अयोध्या तक का सफर बुलेट ट्रेन से किया जा सकेगा। रामनगरी को विश्वस्तरीय पर्यटन सिटी बनाने के क्रम में दिल्ली से सीधे अयोध्या के लिए बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन ( NHRCL ) के अधिकारियों ने शुक्रवार को अयोध्या आकर स्टेशन के लिए जमीन फाइनल करने के साथ नियत स्थान पर पत्थर भी लगा दिए।
दरअसल दिल्ली-वाराणसी वाया आगरा-लखनऊ और अयोध्या प्रस्तावित बुलेट ट्रेन की नवीन परियोजना का एरियल सर्वे पूरा हो गया है। यह परियोजना दिल्ली वाया लखनऊ-प्रयागराज होकर वाराणसी के बीच प्रस्तावित कारीडोर का ही अंग है, जिसे अयोध्या तक आगे बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। यह ट्रेन 320 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ेगी।
इस परियोजना के सिलसिले में शुक्रवार को नेशनल हाईस्पीड रेल कारपोरेशन लि. ( NHRCL ) की तकनीकी टीम अयोध्या पहुंची। इस टीम ने एडीए के सचिव एवं अयोध्या-2047 का विजन डाक्यूमेंट बनाने वाली ग्लोबल कंसल्टेंट एजेंसी के विशेषज्ञों के साथ संयुक्त बैठक की।
बुलेट ट्रेन का स्टेशन लखनऊ-गोरखपुर हाईवे बाईपास पर बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र एयरपोर्ट के ठीक सामने होगा। कॉरपोरेशन ने एयरपोर्ट अथॉरिटी से एनओसी के लिए आवेदन भी किया है।
राजधानी दिल्ली से रामनगरी को जोड़ने की योजना नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन के कार्यकारी निदेशक अनूप कुमार अग्रवाल के मुताबिक रामनगरी को सीधे तौर पर देश की राजधानी से जोड़े जाने की योजना है।
इसके लिए एरियल लिडार सर्वे हो चुका है। योजना को स्वीकृति भी मिल गई है। एनओसी मिलते ही नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन अपना काम शुरू करेगा।
ये है परियोजना परियोजना के तहत 941.5 किलोमीटर के लिए नई पटरी बिछाई जाएगी। यह दिल्ली से आगरा-लखनऊ-प्रयागराज होते हुए वाराणसी तक जाएगी।
इस परियोजना में रामनगरी को शामिल करने के लिए लखनऊ से अयोध्या के लिए अलग से पटरी बिछाई जाएगी। लखनऊ-अयोध्या 130 किमी. लिंक सेवा के रूप में रहेगी। इसमें दिल्ली से वाराणसी और दिल्ली से अयोध्या के लिए दो अलग-अलग बुलेट ट्रेन चलेंगी।
200 लाख करोड़ का खर्च वाराणसी व अयोध्या को हाई स्पीड रेल, बुलेट ट्रेन से जोड़ने के लिए 200 लाख करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। इसमें हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए अलग से पटरियां बिछाई जाएंगी। साथ ही बड़े शहरों के ट्रैफिक को देखते हुए कुछ शहरों में भूमिगत लाइनें भी बिछाई जाएंगी।
पूरी योजना को धरातल पर उतारने में 7 से 8 वर्ष का समय लगेगा। इसके बाद ही देश के लोग बुलेट ट्रेन का सफर कर सकेंगे।