देहरादून: कोटद्वार जैसे नए नगर निगमों ने बीते दो साल कोविड प्रभावित होने के चलते मौजूदा स्वकर प्रणाली में छूट की पैरवी की थी। लेकिन शहरी विकास विभाग ने इस प्रस्ताव को नकार दिया है। प्रदेश के सभी नगर निगमों में अभी स्वकर प्रणाली लागू है।
इसके तहत भवन स्वामी खुद अपने कर का मूल्यांकन करते हुए इसका टैक्स जमा करता है। इस प्रणाली से निकायों की आय काफी बढ़ी है, लेकिन ऋषिकेश नगर निगम सहित कई निगम पुरानी कर प्रणाली को ही लागू करना
चाहते हैं।
ऋषिकेश नगर निगम ने बाकायदा प्रस्ताव तैयार कर शासन से स्वकर प्रणाली को फिलहाल स्थगित रखते हुए पुरानी कर प्रणाली को ही लागू रखने की पैरवी की थी। कोविड के प्रभाव का दिया था हवाला: ऋषिकेश बोर्ड ने बीते दो साल कोविड प्रभावित होने के चलते व्यावसायिक भवनों पर 90 फीसदी और आवासीय भवनों पर पचास प्रतिशत तक छूट की मांग उठाई थी।
कई पार्षदों ने इसके लिए निगम में पैरवी की थी। इसी तरह कोटद्वार बोर्ड ने भी छूट की मांग की थी। लेकिन शहरी विकास निदेशालय ने इससे निकायों की आय बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका जाहिर करते हुए प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान नहीं की है। विभाग का मत है कि निकायों के पास आय का एक मात्र जरिया हाउस टैक्स ही है, इसलिए हाउस टैक्स में छूट दिया जाना मुमकिन नहीं है। निकाय टैक्स प्रणाली में अपने स्तर से बदलाव करने में सक्षम नहीं हैं।
नई कर प्रणाली नई कैबिनेट में
सर्किल रेट आधारित हाउसटैक्स की नई प्रणाली भी लागू होने के अंतिम चरण में पहुंच गई है। विभाग इसके लिए ऐक्ट पास करवा चुका है, अब इसके लिए नियमावली को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सचिव शहरी विकास शैलेश बगोली के मुताबिक नई सरकार में कैबिनेट के समक्ष नियमावली प्रस्तुत की जाएगी। इसके बाद एक साथ सभी निकायों में हाउस टैक्स की नई प्रणाली लागू हो जाएगी। इस प्रणाली में अब हाउस टैक्स की दरें उस क्षेत्र की सर्किल रेट पर आधारित हो जाएंगी। नई टैक्स प्रणाली लागू करने पर केंद्र सरकार जोर दे रही है।
नए बने नगर निगमों ने सेल्फ असेसमेंट पॉलिसी से छूट दिए जाने की मांग की है, जो व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। जहां तक कर की दरों की बात है तो इसमें कुछ बदलाव बोर्ड के स्तर से भी किए जा सकते हैं। भवन कर निगमों की आय का प्रमुख जरिया है। सेल्फ असेसमेंट पॉलिसी से करदाताओं को तो राहत मिलती ही है, निकायों की भी आय काफी बढ़ जाती है।
शैलेश बगौली, सचिव, शहरी विकास