गोदी मीडिया के इस दौर में जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सरकार के सामने न सिर्फ नतमस्तक है बल्कि वह अपने आकाओं को खुश करने के लिए समाज में जहर भी खोल रहा है ऐसे ही नेटवर्क 18 के एंकर अमन चोपड़ा पर IPC की धारा 153-A, 295-A, 124-A, 295 और IT एक्ट की धारा 67 के तहत कल FIR हो गई, इसकी धाराओं ओ बारे में सामान्य जानकारी साझा कर रहा हूं, जिससे आपको भी समझ मे आये असल मे मुकदमा क्या दर्ज हुआ है —

~ IPC 153 – A के तहत कोई किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं पर कोई ऐसा कार्य समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है, तो आईपीसी धारा 153A के अंतर्गत अपराधी होगा, जिसे 3 वर्ष कारावास या जुर्माना या फिर दोनों भी हो सकते हैं । पूजा के स्थान आदि में वर्गो के बीच शत्रुता का दंगा जैसा कृत करने वाले समूह को 5 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।

जमानत – इस धारा जो कोई किसी धर्म, समुदाय, या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए लोक शांति भंग करता है या करने का प्रयास करता है तो वह दंडनीय होगा। साथ मंदिर, मस्जिद जैसे पूजा स्थलों पर लोक शांति भंग करता है या करने का प्रयास करता है तो वह भी दंडनीय होगा। यह एक संज्ञेय अपराध है, और साथ ही इस अपराध की जमानती नहीं है।

~ IPC की धारा 295 के तहत किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना अपराध माना गया है , इसके लिए दंड का निर्धारण भारतीय दंड संहिता में धारा 295 के तहत किया गया है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 में ऐसा अपराध करने पर – 2 वर्ष कारावास, या आर्थिक दण्ड, या दोनों दिए जा सकते है । यह एक गैर जमानती अपराध है..!
IPC की धारा 295A – व्यक्तियों के किसी वर्ग के धर्म धार्मिक विश्वासों का विद्वषतः अपमान पर लागू होती है
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना अथवा दोनो का भागीदार होगा।
यह एक अजमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नही है।

~ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या किसी और तरह से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या भारत में क़ानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वह राजद्रोह का आरोपी है, राजद्रोह एक ग़ैर-जमानती अपराध है. इसमें सज़ा तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना है।

~ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2020 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई टिक टॉक, शेयर चैट, फेसबुक, ट्विटर समेत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करके अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईटी की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है।

आईटी एक्ट की धारा 67 में कहा गया है कि अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, अगर ऐसा अपराध फिर दोहराया जाता है, तो मामले के दोषी को 5 साल की जेल हो सकती है और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

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