देहरादून: बद्रीनाथ से दो बार भाजपा के सिंबल पर विधायक रहे महेंद्र भट्ट राजनीति में वाकपटुता के लिए जाने जाते हैं जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी को कई बार असहज होना पड़ा ताजा मामला उनके द्वारा राजभवन की गरिमा और राजभवन के भाजपाई होने का है आप भी पढ़िए क्या कह रहे हैं महेंद्र भट्ट

“मेरे जीवन का विषय-पन्ना-19
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राजनीतिक महत्वकांक्षा युवामोर्चा महामंत्री के बाद अध्यक्ष बनने की मेरी चाहत।
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सन 1998 श्री भगत सिंह कोश्यारी जी अब उत्तरांचल भाजपा का अध्यक्ष और श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी पार्टी के उत्तरांचल के महामंत्री संगठनमंत्री बन गये थे,डॉ0अनिल डब्बू भाई हल्द्वानी वाले युवामोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने और मुझे प्रदेश महामंत्री का दायित्व दिया गया,अब दायित्व बढ़ गया था,समय पर प्रदेश की बैठकें और प्रदेश कार्यसमिति में अधिकतम उपस्थिति,मोर्चे के कार्यक्रमो की श्रृंखला तैयार करना मेरा दायित्व हो गया था।अब पूरे प्रदेश में जाना होता था,प्रदेश अध्यक्ष जी कुमाऊँ विश्वविद्यालय में अध्यापक होने के कारण उनके पास कुछ समय का अभाव भी रहता था।उस समय उत्तरप्रदेश में हमारी ही सरकार थी,और राज्य में भी हमारे विधायक। अब संघठनात्मक कार्यक्रमो को ज्यादा महत्व दिया जाय इस पर ध्यान था।सायद दो सालों में सभी बड़े जिलो में प्रदेश कार्यसमिति हो गयी थी।मेरा प्रवास काफी होता था,मुझे अब लगता है कि उस समय का मेरा संगठन को दिया गया समय मेरे राजनीतिक जीवन के लिए काफी फलदायी रहा है।

सन 2000 में देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 9 नवम्बर को उत्तरांचल राज्य की घोषणा कर दी।पूरे प्रदेश में उत्साह एवम उमंग का माहौल था,सायद इतनी जल्दी बन जायेगा किसी को विश्वास भी नही हो रहा था।उत्तरप्रदेश में उत्तरांचल के सभी विधायकों एवम एमएलसी को चुनाव तक उत्तरांचल की अन्तरिम विधानसभा का सदस्य बना दिया गया।देवेन्द्र शास्त्री जी और भगतसिंह कोशियारी जी राज्यपाल द्वारा मनोनीत एमएलसी थे,सायद राज्य बनने के एक या दो महीने पहले ही देवेंद्र शास्त्री जी का कार्यकाल पूर्ण हो गया था,कुछ समय पहले ही उत्तरप्रदेश में ही नित्यानंद स्वामी जी ने भी भाजपा की सदस्यता ले ली थी।अब मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया थी,अब कुछ नाम अखबारों में चल रहे थे उनमें नित्यानंद स्वामी जी,भगत सिंह कोश्यारी जी,केदार सिंह फोनिया जी,औरडॉ0रमेश पोखरियाल निशंक जी प्रमुख थे।प्रदेश भाजपा प्रभारी कुशाभाऊ ठाकरे बन गए थे,और राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व आज के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को मिल गया था।
मुख्यमंत्री का निर्णय हो गया सभी विधायकों ने आदरणीय कलराज मिश्र पर्यवेक्षक के रूप में आये थे विधानमंडल की बैठक में नित्यानंद स्वामी जी को नेता चुना और वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
राज्यपाल श्री सुरजीत सिंह बरनाला को नामित किया गया।मुझे लगता है कि उस समय उधमसिंह नगर और हरिद्वार के लोग पर्वतीय राज्य में सम्लित होने का विरोध कर रहे थे,उनको विश्वास में लेने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सायद ये निर्णय लिया हो।
अब मंत्री परिषद की शपथ थी,उस दिन समाचार था कि कुछ विधायक स्वमी जी के मुख्यमंत्री बनने से नाराज हैं, ऐसा भी नही था,पर्वतीय राज्य के सपने में पर्वतीय राज्य से मुख्यमंत्री न होने की बात कुछ कार्यकर्ता कर रहे थे,तो उनको समझाने में भी बरिष्ठ विधायको को लगना था,उस समय लगभग सभी विधायक जो उत्तरप्रदेश से उत्तरांचल आये थे मंत्री बन गए थे,कुछ पहले और कुछ जब कोशियारी जी मुख्यमंत्री बने तब मंत्री बने।उस समय के केवल एक मात्र मंत्री श्री मोहन सिंह रावत गाँववासी ऐसे मंत्री थे,जो बाद में आज तक कोई चुनाव नही लड़े, और दूसरे लाखीराम जोशी जी को सायद उन्हें टिकिट ही नही मिला।
अब भगतदा सरकार में मंत्री हो गए थे।अब राज्य में संगठन में नया चुनाव होना था।
संगठन चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न हुई,और पूरन चन्द्र शर्मा प्रदेश अध्यक्ष चुने गये,वे अच्छे ब्यवहारिक और मेरे से स्नेह रखने वाले अध्यक्ष रहे।नई टीम बनी और ज्योति प्रसाद गैरोला जी को महामंत्री संगठन बनाया गया।अब त्रिवेंद्र जी महामंत्री संगठन के दायित्व से हट गए थे।
राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते मेरी भी इच्छा थी कि मैं अब युवामोर्चा का अध्यक्ष बनू,उम्मीद भी थी।समय गुजरता चला गया,और अड़चन आएगी ऐसा महसूस होने लगा।मैं उस समय के अध्यक्ष पूरनदा से मिला उन्होंने बताया कि दिल्ली से एक नाम आ रहा है, श्री अनिल बलूनी जी का,और वे अभी तक गुजरात के राज्यपाल सुन्दर सिंह भण्डारी जी के ओ0एस0डी0 है।ये बड़ी समस्या थी,वैसे ही भण्डारी जी बारे में पुराने कार्यकर्ताओ से काफी सुना था कि उनसे बात करने की किसी की हिम्मत नही होती थी।चिंता बढ़ गयी थी,उन्ही दिनों मा0नरेंद्र मोदी जी संगठन की मसूरी में होने वाली रास्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के संदर्भ में देहरादून आये हुए थे, एक दिन पूरनदा मेरा परिचय मोदी जी से करा रहे थे उन्होंने कहा कि ये महेन्द्र भट्ट है अभी तक मोर्चे के महामंत्री थे अब प्रदेश अध्यक्ष के लिए सिफारिश करवा रहे हैं,और एक नाम सुन्दर सिंह भण्डारी जी के साथ वाले अनिल बलूनी जी का भी आ रहा है।तो मोदी जी ने मेरे ही सामने पूरन दा को कहा कि भण्डारी जी की बात को तो मैं भी नही काट सकता हूँ।
ये बात मेरे कान में क्या आयी कि अब सब उम्मीद समाप्त हो गयी थी।मैं अगले दिन ज्योति गैरोला जी से मिला,उनका सुझाव मेरे लिए बरदान साबित हुआ,उन्होंने मुझे कहा कि तुमको केवल सुन्दर सिंह भण्डारी जी ही अब प्रदेश अध्यक्ष बना सकते हैं बाकी किसी के चक्कर मत लगाओ और उनसे ही मिलो।अब ठान ली थी कि अध्यक्ष बनु या न बनु पर भण्डारी जी से मिलना ही है।मैने अनिल बलूनी जी का फोन नम्बर कही से प्राप्त कर लिया था,और एक दिन हिम्मत कर अनिल जी को फोन किया,मैने उनसे कहा कि मैं आपसे और भण्डारी जी से मिलना चाहता हूँ, उन्होंने मेरे आग्रह को स्वीकार किया,सायद उनको पता था कि मैं भी अध्यक्ष का दावेदार हूँ।मैं अनिल जी की फोन पर की गई बात से काफी प्रभावित हुआ,उन्होंने मुझे कहा कि आप परसो गुजरात भवन में आओ आपकी मुलाकात हो जाएगी। मैं एक रात पहले ही दिल्ली चला गया,उस रात सबसे पहले मुझे भण्डारी जी को बिना डरे क्या क्या बोलना है उसकी तैयारी लिखित में की,और उसे याद करके बोल सकूँ उसको कई बार पढ़ा।प्रातः गुजरात भवन पहुँच गया,सायद अनिल जी मेरा ही इंतजार कर रहे थे,चाय नास्ता साथ किया,ब्यवहार से उन्होंने दिल जीत लिया था,उन्होंने मुझे भण्डारी जी से अकेले में मिलवाया,मैने पूरा रटा रटाया भाषण बोल दिया,उन्होंने कहा तुमको किसने कहा कि मैं तुम्हे अध्यक्ष नही चाहता हूँ, मैने कहा कि राज्य में सब यही बोल रहे है।उन्होंने कहा देखो मैने अनिल के बारे में चर्चा की थी वहां त्रिवेंद्र रावत से,ये उत्तरांचल का ही है, और अब मेरा राज्यपाल का कार्यकाल भी समाप्ति पर हैं, इसको उत्तराखंड में भेजना है।उन्होंने मुझसे पूछा अध्यक्ष तुम ही बनो तो अनिल को क्या दायित्व मिलेगा,मैने उनसे उत्तरांचल की राजनीतिक परिस्थितियों के हिसाब से बताया कि अनिल जी और मैं गढ़वाल से ब्राह्मण है,महामंत्री कुमाऊँ से राजपूत को बनाना होगा,तो अनिल जी उपाध्यक्ष बन जायेंगे,तब भण्डारी जी ने बोला उपाध्यक्ष उतना प्रभावी नही होगा,तुम वहाँ दो महामंत्री बनावे, मुझे क्या था,मन ही मन सोचा कि मैं अध्यक्ष बन रहा हूँ मुझे क्या दिक्कत है।फिर दिमाग मे आया और मैने भण्डारी जी से कहा महोदय आप शिवराज चौहान जी रास्ट्रीय अध्यक्ष युवामोर्चा(वर्तमान में मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री) से ये बात बता दो,उन्होंने कहा तुम फोन मिलाओ,मैने शिवराज सिंह चौहान जी को फोन मिलाया,मैं आज भी शिवराज जी की इस बात का कायल हूँ कि वे ऐसे अध्यक्ष थे जो राज्यो के प्रमुख पदाधिकारियों के नम्बर अपने फोन पर सेव रखते थे।उन्होंने फोन उठाया तो मैने कहा मैं सुन्दर सिंह भण्डारी जी के पास हूँ,इनको भी उत्तरांचल का मामला संज्ञान था,उन्होंने कहा अरे तुम वहाँ कहाँ चले गए,मैने कहा भाई साहब भण्डारी जी आपसे बात करना चाहते हैं, और दोनों में बात हो गयी,अब मेरा अध्यक्ष बनना पक्का हो गया था,मैं वापस देहरादून आ गया,कुछ दिन बात दिल्ली युवा मोर्चा से सूचना आयी कि मुम्बई में रामभाव मल्लगी प्रबोधनी में राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर है, औऱ वहाँ प्रदेश के अध्यक्ष और महामंत्रियों को जाना है,मुझसे गलती ये हो गयी कि मेरे द्वारा बिना प्रदेश अध्यक्ष और ज्योति गैरोला से बात किये बिना श्री गजराज बिष्ट जी को मुंबई आने को बोल दिया,और वे भी मुंबई के लिए निकल भी गये,मेरे साथ मेरा मित्र सरदार मंगा सिंह भी थे,उनके रिश्तेदार वहाँ रहते थे।रास्ते मे ज्योति जी का फोन आया कि अभी मुंबई केवल तुमको जाना है, अब दिक्कत हो गयी थी,गजराज जी को कैसे मना करू हिम्मत कर फोन मिलाया तो वे बोले मैं जहाज से पहुँच गया हूँ,पर मैने उनको हिम्मत कर बोल ही दिया कि अभी तुमको प्रशिक्षण वर्ग में सम्मलित नही होना है सायद वे अपने रिश्तेदारों से मिलकर फिर वापस आ गए होंगे।पर ये मेरे द्वारा जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था,आखिर बिना पार्टी अध्यक्ष के में कैसे महामंत्री घोषित कर सकता था।
अब हम रामभाव मल्लगी पहुँच गये थे,विनय सहस्त्र बुध्दे जी वहाँ प्रभारी थे,मेरे साथ सरदार मंगा भाई भी वही चला गया था,वहाँ कड़े नियम थे मंगा भाई का नाम सूची में नही था,और मंगा को वापस जाना पड़ा था।3 दिन का वर्ग था,वर्ग में श्री लालकृष्ण आडवाणी जी,उस समय के पार्टी अध्यक्ष बंगारू लक्षण जी,कुशाभाऊ ठाकरे जी,और डॉ0मुरलीमनोहर जोशी जी,और शिवराज सिंह चौहान जी ने अलग अलग सत्रों में मार्गदर्शन किया,शिवराज सिंह जी का एकात्म मानववाद का उद्बोधन मेरे लिए काफी प्रभावी रहा,मुझे नाम ध्यान नही आ रहा एक बरिष्ठ कार्यकर्ता ने दीनदयाल जी पर दिया गया उद्बोधन मुझे सत्यनारायण की कथा जैसा प्रतीत हुआ,जिसको मैने अपनी डायरी में भी लिखा था।
मैं पार्टी के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करता हूँ कि पार्टी ने मुझे उत्तरांचल राज्य बनने पर पहला युवामोर्चा अध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्रदान किया”

महेंद्र भट्ट :पूर्व विधायक बद्रीनाथ

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