देहरादून: भारतीय जनता पार्टी के सिंबल पर जीतकर टिहरी से विधायक बने किशोर उपाध्याय के साथ भाजपाई जबरदस्त मजाक करने में लगे हुए हैं।

कांग्रेस में रहते हुए चार बार पार्टी का टिकट मिला दो बार विधायक बने राज्य मंत्री बने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे किशोर उपाध्याय को विधायक होने के बावजूद जब देहरादून के विधायक निवास में कब्जा नहीं मिला तो थक हार कर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखा कि उन्हें टिहरी में आवास दिया जाए। यह चिट्टी उपाध्याय को तब लिखनी पड़ी जब राज्य संपत्ति विभाग ने उन्हें विधायक हॉस्टल में कमरा नंबर 69 अलााट किया।

जब किशोर उपाध्याय कब्जा लेने गए तो उसकी चाबी उन्हें नहीं मिल पाई पता चला कि वहां कोई भाजपा के विधायक जो चुनाव हार चुके हैं खाली करने का नाम नहीं ले रहे है।

जब किशोर उपाध्याय से कमरा खाली नहीं हुआ तो उन्होंने भाजपाइयों से लड़ने की बजाय दूसरा रास्ता अख्तियार किया । किशोर उपाध्याय ने राज्य संपत्ति विभाग को चिट्ठी लिखकर कब्जा करने वाले भाजपाई का रायता फैलाने का इंतजाम कर दिया है। कि पुराना एलॉटमेंट कैंसिल हो जाए और भाजपाई विधायक निवास से बाहर हो जाए।

किशोर उपाध्याय का भाजपाइयों के साथ आवास को लेकर झगड़ा निशंक कार्यकाल के दौरान भी हुआ था। जब निशंक ने किशोर उपाध्याय का सामान यमुना कॉलोनी से सड़क पर फेंक दिया था और बाद में किशोर उपाध्याय को वसूली का नोटिस भी भेजा। वह तो किशोर उपाध्याय के गुरु हरीश रावत की कृपा रही जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहला निर्णय किशोर उपाध्याय के पक्ष में दिया और सारी 3:30 लाख की वसूली रद्द करवाई।

देखना है कि राज्य संपत्ति विभाग किशोर उपाध्याय को अलाट किए गए 69 नंबर कमरे को खाली करवा पाता है। या किशोर उपाध्याय टिहरी में कोई कमरा मिलता है। भारतीय जनता पार्टी में जाकर किशोर उपाध्याय को इतना तो एहसास हो गया। यह चाल चरित्र और चेहरे वाली पार्टी एक ताकतवर नेता की कैसे गत खराब करती है।

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