पिथौरागढ़: आदि कैलास दर्शन के लिए हर साल बढ़ रही यात्रियों की भीड़ चिंता का सबब बन सकती है। यात्रियों के साथ भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा 15 हजार फीट तक की ऊंचाई पर पहुंच रहा है। बीते चार महीने में ही ग्रामीणों ने 5 कुंतल से अधिक कूड़ा इस क्षेत्र से एकत्र किया है। यात्रा के लिए इनरलाइन पास जारी कर रहे प्रशासन और यात्री दलों को लेकर पहुंच रहे कुमाऊं मंडल विकास निगम के पास इस कूड़े के निस्तारण के लिए फिलहाल कोई इंतजाम नहीं हैं।

साल 2020 में लिपूलेख तक सड़क बनने के बाद आदि कैलास यात्रा पर जाने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई है। आंकड़ों के अनुसार सड़क बनने से पहले यहां  2019 में महज 1200 यात्री पहुंचे थे। इस साल अप्रैल से अब तक यहां  4656 लोग पहुंच चुके हैं। ये लोग बड़ी संख्या में पैक्ड फूड, पालीथिन और अन्य प्लास्टिक  की चीजें लेकर संवेदनशील आदि कैलास तक पहुंच रहे हैं।

आदि कैलास क्षेत्र में साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थाएं देखने के लिए गठित आदि कैलास विकास समिति के अध्यक्ष पुनीत कुटियाल बताते हैं कि बीते चार महीनों में उन्होंने पांच कुंतल से अधिक कूड़ा एकत्र किया है। इसमें तीन कुंतल के बराबर प्लास्टिक कचरा निकला है। प्रशासन और केएमवीएन के पास कूड़ा निस्तारण की कोई नीति नहीं है। समिति प्लास्टिक कचरे को किसी तहर जमीन में दबाकर काम चला रही है।

आदि कैलास तक प्लास्टिक कचरा पहुंचना बहुत ही चिंताजनक है। इससे वहां का पर्यावरण बिगड़ने के साथ ही जीव-जंतुओं का जीवन भी प्रभावित होगा। प्लास्टिक के कैमिकल वहां के वाटर सिस्टम को भी प्रभावित करेंगे। गंगोत्री की तरह आदि कैलास में भी पैक्ड फूड जैसी चीजों पर तत्काल रोक लगे।

किरीट कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जीबी. पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान 

पर्यटकों की बढ़ती संख्या और कूड़ा निस्तारण की नीति बनाने के लिए ग्राम पंचायत व स्थानीय प्रशासन की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण है। कैलाश यात्रा मार्ग पर यात्रियों व पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। केएमवीएन इनके लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रहा है।
विनीत तोमर, एमडी केएमवीएन  

आदि कैलास हमारे क्षेत्र में नहीं आता। वहां से कूड़ा एकत्र करने के हमारे पास कोई आदेश भी नहीं हैं। वहां का एकत्र कूड़ा अब तक पालिका के पास नहीं पहुंचा है।
पीएस बोरा, ईओ, धारचूला

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