हल्द्वानी:  लोक निर्माण विभाग ने कुछ चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रक्योरमेंट) नियमावली की धज्जियां उड़ाईं हैं। नियमावली के हिसाब से राज्य स्तरीय और स्थानीय समाचार पत्र में निविदाएं प्रकाशित करानी चाहिए लेकिन लोनिवि के अधिकारियों ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर यूपी के अलग-अलग शहरों से प्रकाशित समाचार पत्रों में प्रकाशित करा दीं। अब जिम्मेदार अधिकारी मामले के संज्ञान में ही नहीं होने की बात कह रहे हैं।

उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली कहती है कि 25 लाख रुपये से कम अनुमानित लागत की अधिप्राप्ति व्यापक परिचालन वाले एक राज्य स्तरीय समाचार पत्र और एक स्थानीय समाचार पत्र में दी जाएगी। विज्ञापन का आकार न्यूनतम रखा जाएगा। 25 लाख से अधिक और पांच करोड़ से कम अनुमानित अधिप्राप्ति व्यापक परिचालन वाले एक राष्ट्रीय समाचार पत्र और एक राज्य स्तरीय समाचार पत्र में दी जाएगी लेकिन लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड तिकोनिया हल्द्वानी ने करीब 9.20 करोड़ (जीएसटी सहित) के सड़कों के टेंडर यूपी के अलीगढ़, आगरा के संस्करणों में प्रकाशित करा दिए। ऐसा एक बार नहीं बल्कि जुलाई में तीन बार किया गया।

हल्द्वानी लोक निर्माण विभाग ने एक सड़क के दो-दो बार अलग-अलग काम दिखाकर निविदाएं आमंत्रित की। 19 जुलाई को राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र के अलीगढ़ संस्करण में रोड कटिंग के अंतर्गत ग्राम सभा रामणी आन सिंह में गांधी आश्रम मोटर मार्ग से भगवान सिंह के घर तक मार्ग सुधारीकरण का कार्य की निविदा प्रकाशित की गई। इसी सड़क की निविदा अन्य कामों के साथ 19 जुलाई को आगरा संस्करण में भी प्रकाशित करा दी गई।

हल्द्वानी नियमावली में साफ लिखा है कि एक काम का एक ही टेंडर निकाला जाएगा लेकिन लोनिवि ने हल्द्वानी क्षेत्र के करीब पांच करोड़ के दो बड़े कामों को छोटे-छोटे कामों में तोड़कर कई टेंडर निकाल दिए। इसमें रामपुर रोड के किनारे बने कच्चे मार्ग (पटरी) की मरम्मत के काम को पांच जगह तोड़कर टेंडर निकाले गए हैं। इस सड़क का निर्माण कार्य ब्रिडकुल को करना है। ब्रिडकुल इस सड़क को चौड़ा कर रहा है। इसका बजट भी ब्रिडकुल को मिल चुका है। इसी तरह तल्ली हल्द्वानी के आंतरिक मार्ग को 10 जगह तोड़कर टेंडर निकाले गए हैं।

हल्द्वानी राज्य के समाचार पत्रों में निविदा सूचना नहीं आने से स्थानीय ठेकेदारों को निविदा की जानकारी नहीं हो पाई। निविदा की जानकारी नहीं होने से ठेकेदारों ने ठेके नहीं डाले। ठेके कम पड़ने के कारण टेंडर में प्रतिस्पर्धा कम हुई। इससे ठेका उसी दर में छूटा। टेंडर अधिक होते तो प्रतिस्पर्धा बढ़ती और टेंडर कम दर में उठता। इससे सरकार का पैसा बचता।

निविदा सूचना दूसरे राज्य में छपी है, यह जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा हुआ होगा तो यह गलत है। टेंडर निरस्त किए जाएंगे।
अशोक कुमार, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग

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