देहरादून: सरकारी स्कूलों का पाठ्यक्रम बदलने जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)की सिफारिशों के तहत पहली से 12 वीं कक्षा तक के लिए नए सिरे से पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। नए पाठ्यक्रम में छात्रों को उत्तराखंड के बारे में भी बहुत जानने को मिलेगा। राज्य के भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों को भी शामिल किया जाएगा। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार आने वाले डेढ़ महीने के भीतर पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

वर्तमान में राज्य में एनसीईआरटी का पाठयक्रम लागू है। एनसीईआरटी की किताबें राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में होने की वजह से राज्य के बारे में जानकारियां न के बराबर हैं। एनईपी में पाठ्यक्रम के विषय में भी मानक तय किया गया है। डॉ. सिंह के अनुसार इसमें 30 प्रतिशत भाग राज्य का होगा और बाकी 70 प्रतिशत राष्ट्रीय। इस व्यवस्था से राज्य को स्थानीयता को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने का मौका मिला है। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षा विशेषज्ञ संयुक्त रूप से इस राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम को तैयार कर रहे हैं। जल्द इसे केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा।

छात्रों को बेहतर से बेहतर शिक्षक और शैक्षिक माहौल देने के लिए उत्तराखंड बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई और पतंजलि के भारतीय शिक्षा बोर्ड के शिक्षकों का पूल बनाने की तैयारी भी है। इसके तहत शिक्षक एक दूसरे के बोर्ड में पढ़ाने के लिए आ जा सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रख्यात वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन को उत्तराखंड आने का निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने एनईपी का मसौदा तैयार किया है। इस प्रस्ताव के उनके समक्ष रखा जाएगा।

राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान और आईआईएम में मिलेगी शिक्षकों को ट्रेनिंग राज्य के शिक्षकों की क्षमता विकास, प्रबंधन और प्रशासनकीय क्षमताओं के विकास के लिए सरकार नई पहल करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश के एक हजार शिक्षकों को राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान में विशेष प्रशिक्षण कराया जाएगा। जबकि प्रधानाचार्यों को काशीपुर स्थित आईआईएम में एक सप्ताह का विशेष कोर्स कराया जाएगा।

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