देहरादून: अफसरों के गलत फैसलों की वजह से बेसिक और जूनियर स्तर के सैकड़ों शिक्षक एक बार फिर संकट में आ गए। प्रमोशन और चयन वेतनमान के जरिए 4600 ग्रेड पे तक पहुंचे शिक्षकों को दिए गए वेतनमान को शिक्षा विभाग ने अब गलत ठहरा दिया है। बेसिक शिक्षा निदेशक वंदना गर्ब्याल ने हाईकोर्ट के आदेश पर विभिन्न रिटों की सुनवाई करते हुए रिकवरी के आदेश किए हैं।

शिक्षकों पर इस अवधि की 50 हजार से लेकर सात लाख रुपये तक की रिकवरी आ रही है। विभाग के फैसलों से परेशान शिक्षकों का कहना है कि उन्हें लाभ सरकार और विभाग के फैसलों के अनुसार ही दिया गया है। यदि वो वेतनमान के पात्र नहीं थे तो पहले दिया ही क्यों गया?जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रघुवीर सिंह पुंडीर का कहना है कि यह बेहद गंभीर विषय है।
शिक्षक मामले को लेकर दोबारा हाईकोर्ट की शरण में जा रहे हैं। संघ के पूर्व अध्यक्ष विनोद थापा और पूर्व महामंत्री राजेंद्र प्रसाद बहुगुणा ने कहा कि यह शिक्षकों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई है। शिक्षकों का इसमें कोई दोष नहीं है। पीड़ित शिक्षक अजय सैनी के अनुसार शिक्षकों पर काफी भारीभरकम रिकवरियां आ रहीं हैं। सैकड़ों शिक्षक मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं।

यह है मामला बेसिक-जूनियर शिक्षकों के बीच यह विवाद 17140 रुपये वेतन के विवाद के नाम से चर्चित है। वर्ष 2009 में सीधी भर्ती व प्रमोशन-चयन वेतनमान वाले शिक्षकों को ज्यादातर ब्लॉक में समान रूप से 17140 रुपये के वेतन का लाभ दे दिया गया था। 2018 को जीओ जारी कर वर्ष 2006 से 27 दिसंबर 2018 तक कको नोशनल करार दिया।

वित्त नियंत्रक ने वेतनमान संशोधन सुधार के आदेश दिए
बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश के आधार पर वित्त नियंत्रक मोहम्मद गुलफाम अहमद ने सभी सीईओ और जिला वित्त अधिकारियों को शिक्षकों के वेतनमान को नए सिरे से संशोधित करने के निर्देश दिए। इस आदेश के साथ उन्होंने निदेशक के आदेश को भी भी भेजा है, जिसमें अधिक भुगतान की रिकवरी के लिए कहा गया है।

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