देहरादून: उत्तराखंड के राजकीय चिकित्सालयों व मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को ऑनलाइन पंजीकरण व टोकन की सुविधा मिलेगी। इस व्यवस्था के लागू होने से मरीजों व उनके तीमारदारों को पंजीकरण के लिए लाइन में खड़े होकर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभागीय अधिकारियों को पंजीकरण के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाने के निर्देश दिए।

मरीज घर से ही पंजीकरण करा सकेंगे। इसके बाद उन्हें टोकन नंबर दिया जाएगा। फिर दिए गए वक्त पर वह अस्पताल पहुंचकर बिना इंतजार किए इलाज करा सकेंगे। सचिवालय में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जल्द सिस्टम तैयार कर इसे लागू करने के निर्देश दिए। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में रोगी पंजीकरण शुल्क की समान व्यवस्था की जाए। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव अरूणेंद्र चौहान, अमनदीप कौर, प्रभारी महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह, प्रधानाचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ. आशुतोष सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सरोज नैथानी समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

सीएम ने अधिकारियों को प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए टेलीमेडिसिन सेवा को बढ़ावा देने और इसका प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए। कहा कि उत्तराखंड को जल्द क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए क्षय रोगियों को गोद लेने के लिए जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को प्रेरित किया जाए।

सीएम ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जारी होने वाले आयुष्मान कार्ड, गोल्डन कार्ड, श्रम विभाग से जारी होने वाले हेल्थ कार्ड की सही निगरानी के लिए उन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाए। कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अभिनव पहल की जरूरत है। कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल से ही जारी हों।

सीएम ने कहा कि अस्पतालों में स्वच्छता के साथ ही मरीजों को गुणवत्तायुक्त भोजन देने पर विशेष ध्यान दिया जाए। मानसून के बाद वायरल, डेंगू एवं मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है, इससे निपटने के लिए अस्पतालों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित हों। त्योहारों के सीजन में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों के जिन निर्माण कार्यों में देरी हो रही है, उनसे सबंधित कार्यदायी एजेंसियों की जिम्मेदारी तय कर सख्त रुख अपनाया जाए। निर्माण कार्यों में अनावश्यक विलंब होने से लागत में भी वृद्धि होती है। उत्तराखंड को 2025 तक ड्रग्स फ्री राज्य बनाने के लिए सभी विभागों को कार्य करने होंगे। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में प्रतिमाह बैठक की जाए।

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