देहरादून: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाले सेवानिवृत्त आरोपी हरिओम सिंह को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार की अदालत ने सात साल की सजा सुनाते हुए 20 हजार का जुर्माना लगाया है। अभियोजन अधिकारी अजय सिंह रावत व सीमा रानी ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ सिंदरपुर निवासी हरिओम सिंह पुत्र खुशीराम के खिलाफ थाना थत्यूड़ में वादी थत्यूड़ के स्थानीय यशवीर सिंह ने 15 अगस्त, 2018 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज करवाया।

जिसमें बताया गया था कि सेवानिवृत प्रधानाध्यापक अपनी प्रथम नियुक्ति शिक्षा विभाग में दिये गये दस्तावेजों में समानरूपता नहीं है। प्रथम नियुक्ति के दौरान कुछ वांधित अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किए। इसके बाद भी प्रावि सेंदूल जौनपूर टिहरी गढ़वाल में पहली नियुक्त ले ली। 31 मार्च 2016 को राप्रावि डांगू जौनपूर टिहरी गढ़वाल से हरिओम सिंह सेवा निवृत हुए। शिकायत पर शिक्षा विभाग ने आरोपी के प्रमाण पत्रों की जांच भी करवाई।

प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के आधार पर वादी ने स्थानीय थाने में मामला दर्ज करवाया। मामले में अभियोजन पक्ष में जांच में फर्जी पाये गये प्रमाण पत्रों का हवाला दिया। अन्य साक्ष्य भी न्यायालय को दिए। जिसके आधार पर आरोपी को 7 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

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