नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत ने नौ फरवरी 2012 को हुए छावला रेप केस में आरोपियों को बरी कर दिया है। ज्ञात हो कि उत्तराखंड मूल की बेटी के साथ दिल्ली में 2012 में निर्भया से भी कहीं ज्यादा दरिंदगी हुई और रेप के बाद उसकी जघन्य तरीके से हत्या कर दी गई थी। लेकिन उस जघन्य अपराध के दस साल बाद अब आरोपियों को देश की शीर्ष अदालत ने निचली अदालतों से मिली फांसी की सजा को पलटते हुए तीनों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया।

दिल्ली के छावला इलाके में उत्तराखंड की 19 वर्षीय बेटी को तीनों आरोपियों ने कार में अगवा कर गैंगरेप किया और फिर सबूत मिटाने के खातिर उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर शव हरियाणा के रेवाड़ी के जंगलों में फेंक दिया था। निर्भया रोज की तरह उस दिन भी काम से निकली लेकिन शाम को घर नहीं लौटी तो परिजनों ने पुलिस को शिकायत की जिसके 16 फरवरी को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की बेटी का शव रेवाड़ी में मिला।

उत्तराखंड की इस निर्भया बेटी के परिवार वाले चाहते थे कि दिल्ली की निर्भया के बलात्कारियों की तरह छावला रेप कांड के दरिंदों को भी फांसी की सजा मिले। दिल्ली की निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट ने इसे रेयर ऑफ दी रेयरेस्ट केस मानते हुए तीनों दोषियों को फांसी की सजा दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बचाव पक्ष की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की दलील को मानते हुए फांसी की सजा पलट दी और तीनों आरोपियों की बरी कर दिया।

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