देहरादून: अभिनव थापर ने कहा कि ” *हाईकोर्ट नैनीताल में उत्तरखंड विधानसभा भर्ती घोटाले पर चल रही मेरी जनहित याचिका के मुख्य बिंदुओं – ” नियमों की अनदेखी, भ्रष्टाचार व लूट” के विषय पर आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 2016 से हुई भर्तियों पर याचिका खारिज कर मुहर लगा दी। अब सरकार को जल्दी ही हाईकोर्ट को यह बताना चाहिए कि 2000 से 2022 तक सभी भर्तियों में क्या नियमों की अनदेखी हुई ? व जिन मंत्री व अफसरों ने यह लूट का रास्ता बनाया उनसे सरकारी धन की recovery पर क्या कार्यवाही हुई ? ”

पिछले दिनों सोशल मीडिया, समाचार पत्रों व मीडिया के माध्य्म से उत्तराखंड में ” विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता ” का मामला प्रकाश में आया। इस पर सरकार ने एक जाँच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है , अतः विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने हेतु व लूट मचाने वालों से ” सरकारी धन की रिकवरी ” हेतु देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर करी । इस पर याचिकाकर्ता ने विषय को महत्वपूर्ण बताते हुये सुनवाई की अपील करी, जिसका माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया।

याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि ” *याचिका में मांग की गई है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में किया जाय और भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय। सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है, यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है और वर्तमान सरकार भी दोषियों पर कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here