देहरादून: उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों से लगातार लोग पलायन कर रहे हैं पलायन  की  वज़ह शिक्षा स्वास्थ्य का अभाव के साथ-साथ कनेक्टिविटी ना होना एक मुख्य कारण रहा है। हाल ही में पलायन आयोग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के  गावो से 1 दिन में लगभग 230 लोग पलायन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर अब ग्रामीणों के साथ-साथ जो उत्तराखंड के प्रतिभावान नौजवान हैं वह भी आप पलायन की राह पर है…. ताजा मामला उत्तराखंड की बेटी…..   मानसी नेगी प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। अब मानसी ने अपने भविष्य के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया है। प्रदेश में खेल कोटे से नौकरी मिलने की आस खत्म होने पर मानसी ने रेलवे में नौकरी के लिए ट्रायल दिया है। मानसी की प्रतिभा को देखते हुए उसके चयन होने की काफी संभावनाएं हैं यदि रेलवे में नौकरी मिल जाती है तो प्रदेश से एक स्वर्णिम प्रतिभा पलायन कर जाएगी।

चमोली जिले के दशोली विकासखंड के मजोठी गांव निवासी मानसी नेगी ने जब से दौड़ना शुरू किया तो स्वर्ण पदक से कम कुछ हासिल नहीं किया। गरीब परिवार से निकली मानसी ने विषम परिस्थितियों में भी अपने खेल को न सिर्फ जारी रखा बल्कि हर स्तर पर अपने कोच, परिवार और समर्थकों की उम्मीदों पर खरी उतरी लेकिन प्रदेश सरकार में इस प्रतिभा के लिए कोई नौकरी नहीं है। जिससे अब उसने नौकरी के लिए रेलवे में आवेदन किया है।

कुछ समय पहले उसने रेलवे के लिए ट्रायल भी दे दिया है। प्रतिभावान मानसी के इसमें चयन होने की काफी उम्मीद है। वह सफल हो जाती है तो उसे नौकरी के लिए जाना पड़ेगा। हालांकि मानसी बताती हैं कि वह प्रदेश में रहकर अपने खेल को जारी रखना चाहती है लेकिन पारिवारिक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अकेली मां कब तक सबकुछ करती रहेगी। नौकरी मिलने पर परिवार को मदद कर सकेगी और अपने खेल को भी जारी रख सकेगी।
मानसी नेगी ग्रामीण परिवेश के परिवार से आती है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में उसके लिए खेलों में घर से बाहर निकलना आसान नहीं था। मानसी ने बताया कि घर में काफी बहाने बनाकर अभ्यास के लिए आती थी। घर से बाहर जाने पर परिवार वाले चिंतित हो जाते थे, लेकिन उसने परिवार को विश्वास में लिया। स्कूल स्तर से फर्राटा दौड़ सहित अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया।

ग्रामीण परिवेश से निकली मानसी नेगी भले ही इस समय राष्ट्रीय फलक पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है लेकिन हर परिवार की इच्छा यही रहती है कि उनके बच्चे बेहतर नौकरी में जाएं। अपने जीवन के स्वर्णिम पलों को जब बेहतर नौकरी या कोर्स की तैयारी की जाती है उसे खेलों में लगा दिया जाए और फिर खाली हाथ घर लौटेंगे तो आने वाले खिलाड़ियों को कैसे प्रोत्साहन मिलेगा। लोग अपने बच्चों को खेलों में भेजने के बजाय कोचिंग सेंटर या बेहतर पढ़ाई के लिए भेजने को प्राथमिकता देंगे, जिससे उन्हें कम से कम अच्छा रोजगार तो मिल जाए।


शासन स्तर पर प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए नौकरी देने के लिए आउट आफ टर्न नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जल्द इस मामले में शासनादेश जारी हो सकता है। जिसमें खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा के अनुसार रोजगार से जोड़ा जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here