दीपक फरस्वान

दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी का 1 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो गया है हर सरकार के साथ कुछ अच्छा कुछ बुरा जुड़ा रहता है।  इस कार्यकाल को वरिष्ठ पत्रकार दीपक फरस्वान ने इस प्रकार दर्शाया है……

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने कामकाज के तौर तरीकों से सियासत में विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने अपितु उन्होंने देवभूमि में ‘जनता के मुख्यमंत्री’ की ऐसी छवि निर्मित की है जिसे तोड़ पाना शायद ही किसी के लिए संभव हो। अमूमन मुख्यमंत्री स्तर के राजनेताओं के व्यक्तित्व में एक खास ऑरा साथ चलता है लेकिन धामी इसके इकलौते अपवाद हैं, क्योंकि वह जैसे पहले थे आज भी वैसे ही हैं। यूं कहें कि मुख्यमंत्री बनकर उनकी सहृदयता, संवेदनशीलता और सहजता ज्यादा बढ़ी है। यही वजह है कि ‘आम’ और ‘खास’ के बीच उनकी सोच में कोई दोहरापन नहीं है। उनकी आमसभा में अंतिम छोर पर बैठा आदमी भी यह महसूस करता है कि सामने मुख्यमंत्री नहीं कोई उसका अपना, अपने जैसा ही व्यक्ति बोल रहा है। आम आदमी से अपनेपन का यह रिश्ता ही धामी की असली ताकत है। यह सुखद संयोग है कि आज से चैत्र नवरात्रि, हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है और आज ही पुष्कर सिंह धामी अपने दूसरे कार्यकाल का एक सफल वर्ष पूरा करने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ध्येय वाक्य ‘विकल्प रहित संकल्प’ को आत्मसात कर सूबे में नया वर्क कल्चर बनाया है। किसी सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए एक साल का समय पर्याप्त माना जाता है, इस अवधि में धामी ने जनता और प्रदेश के हित में अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कार्यप्रणाली, नीतियों और मानदंडों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए लोककल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की है। खासतौर पर भ्रष्टाचार को लेकर धामी जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय”के सिद्धांतों और आदर्शों का अनुसरण करते हुए पारदर्शी तरीके से काम कर रही है। धामी का मकसद साफ है और वो है 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना। अपने इस अभियान को पूरा करने के लिए पिछले 365 दिनों में वह एक मजबूत नींव तैयार कर चुके हैं। इस कालखण्ड में धामी सरकार के कामकाज में प्रदेश की निरन्तर प्रगति के लिए संकल्प, समर्पण और प्रयास का समावेश देखने को मिला।
23 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही पुष्कर सिंह धामी ने संकल्प लिया कि 2025 तक उत्तराखण्ड को देश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवम्बर 2021 को केदारनाथ धाम में आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करते हुए कहा था कि आने वाला दशक उत्तराखण्ड का होगा। धामी जानते हैं कि भाजपा हाईकमान खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर आंख मूंदकर भरोसा जताया है। मोदी के इस सपने को उन्हें हकीकत में बदलना है। धामी सरकार ने इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए ठोस आधार तैयार किया है। सरकार अब तक कई ऐसी पहल कर चूकी है जो आगे चलकर उत्तराखण्ड की तरक्की में मील का पत्थर साबित होंगे। पहली कैबिनेट में ही उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए। ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने को लेकर चुनाव से पूर्व किए अपने वायदे को पूरा करने की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाया। कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिये विशेषज्ञों की समिति गठित की गई। विशेषज्ञों की यह कमेटी उत्तराखण्ड राज्य के लिये यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने में जुटी है, जो आगामी जुलाई तक अपना काम पूरा कर लेगी। भ्रष्टाचार राज्य की आर्थिकी के लिए दीमक की तरह खतरनाक है। इस सच्चाई को समझते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री ‘भ्रष्टाचार मुक्त एप-1064’ का शुभारम्भ करके नौकरशाही को कड़ा संदेश दे चुके हैं। अब तक वित्तीय अनियमितता, आय से अधिक सम्पत्ति व अन्य गड़बड़ियों में एक आईएएस, दो आईएफएस और एक आरटीओ को सस्पेंड किया गया है। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे 8 बड़े अधिकारी इस वक्त सलाखों के पीछे हैं। राज्य की सरकारी भर्तियों में नासूर बन चुके नकल माफिया को जड़ से खत्म करने के लिए मजबूत नकल निषेध कानून लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री धामी जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं शांतिपूर्ण वातावरण को बनाए रखने के लिये जरूरी है कि अराजक तत्व राज्य में प्रवेश न कर पाए। इसके लिये उन्होंने प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर नागरिकों का सत्यापन अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अमल शुरु कर दिया गया है। तीर्थाटन को बढ़ावा मिले इसके लिए चारधाम सर्किट में आने वाले सभी मंदिरों और गुरूद्वारों में भौतिक ढांचे और परिवहन सुविधाओं का विस्तार करने की योजना बनाई गई है। कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिये ‘मानसखण्ड मंदिर माला मिशन’ की शुरूआत जल्द होने वाली है। इसी तरह ‘मिशन मायापुरी’ के अंतर्गत हरिद्वार को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में बदलने के लिये उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा धामी जनहित से जुड़े कई कल्याणकारी फैसले भी ले चुके हैं। निर्णय लिया गया है कि उत्तराखण्ड में वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत अब पात्र पति व पत्नी दोनों को लाभ मिल सकेगा। इतना ही नहीं वृद्धावस्था, निराश्रित विधवा भरण पोषण अनुदान तथा दिव्यांग पेंशन योजना के अंतर्गत प्रदत्त दर 1200 रूपये प्रतिमाह में 200 रूपये की वृद्धि की गई है। अब इनमें प्रतिमाह 1400 रूपये पेंशन प्राप्त होगी।
बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी मुख्यमंत्री धामी लगातार ध्यान दे रहे हैं। उनकी मजबूत पहल पर केंद्र सरकार ने कर्णप्रयाग से गैरसैंण तक के मोटर मार्ग के चौड़ीकरण के लिए 900 करोड़ की योजना स्वीकृत की है। एन.एच. 72 के पांवटा साहिब-बल्लूपुर (देहरादून) खण्ड के उन्नयन और फोर लेन के निर्माण के लिये 1093.01 करोड़ रूपये के बजट की स्वीकृति दी है। पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे नेटवर्क निर्माण के लिये पर्वत माला परियोजना का खाका तैयार कर लिया गया है। नगरीय क्षेत्रों में ट्रेफिक समस्या को दूर करने के लिये पार्किंग सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। सर्फेस पार्किंग के साथ ही मल्टीस्टोरी पार्किंग, केविटी पार्किंग व टनल पार्किंग भी विकसित किये जाने की योजना है। महिला सशक्तीकरण धामी सरकार की प्राथमिकता में है। महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता के लिये एक विशेष कोष गठित करने का निर्णय ले लिया गया है। चुनाव पूर्व जनता से किया गया गरीबों को तीन सिलेण्डर मुफ्त देने के वायदे पर अमल शुरू हो गया है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखण्ड राज्य में संचार नेटवर्क की अहमियत धामी सरकार को पता है। लिहाजा, उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 4 जी/5 जी मोबाईल नेटवर्क एवं हाई स्पीड ब्राडबैंड व फाइबर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी जाने प्रस्तावत बन चुका है। किसानों का सामाजिक स्तर उठाने और उनकी आय दोगुना करने के उद्देश्य से पीएम किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर ‘सीएम किसान प्रोत्साहन निधि’ की शुरूआत की जा रही है। साथ ही धामी सरकार उत्तराखण्ड को जैविक प्रदेश बनाना चाहती है, इसके लिए एक अखिल भारतीय बाजार बनाने को ‘उत्तराखण्ड आर्गेनिक्स ब्रांड’ बनाया जा रहा है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि उत्तराखण्ड के सीमीवर्ती गांवों के नागरिकों का देश की सुरक्षा में भी खासा महत्व है। उन्हें ‘सेंकेण्ड डिफेंस लाइन’ भी कहा जाता है। इस महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री धामी ने अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों से पलायन रोकने और सुविधायें मुहैया करवाने की जोरदार पहल की है। इसके तहत ‘हिम प्रहरी योजना’ के जरिए राज्य के भूतपूर्व सैनिकों एवं युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकटवर्ती जिलों में बसने के लिये सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में अपना अहम योदान दे रहे हजारों पर्यावरण मित्रों का एक दिन का मानदेय बढ़ाकर 500 रूपये कर दिया गया है। इसके अलावा, ‘कारवां टूरिज्म’ द्वारा पर्यटकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पॉलिसी बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। और न जाने कितनी उपलब्धियां धामी सरकार के खाते में हैं। अपने एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री धामी लगातार राज्य के दौरे पर रहे। जिलों में प्रवास और भ्रमण के दौरान उन्होंने जनता से सीधा संवाद कायम किया।

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