कोटद्वार: अगर आप कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में अगाध आस्था का केंद्र प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर में भगवान सिद्धबली बाबा के दर्शनों को जा रहे हैं तो अपनी वस्त्रों पर एक नजर अवश्य डाल दें। मंदिर समिति ने मर्यादित वस्त्र पहन मंदिर आने का आग्रह किया है। समिति ने इस संबंध में सिद्धबली बाबा मंदिर परिसर में जगह-जगह चेतावनी बोर्ड भी लगा दिए हैं।
कोटद्वार में खोह नदी के तट पर बसे श्री सिद्धबली मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की किस कदर अटूट आस्था है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण इस बात से मिल जाता है कि मंदिर में अगले दस वर्षों तक भंडारा आयोजन के लिए कोई तिथि नहीं है। यह स्थिति तब है जब मंदिर समिति परिसर में दो-दो स्थानों पर भंडारे आयोजित करने की अनुमति प्रदान कर रही है।
दरअसल, मान्यता है कि माना जाता है कि हनुमान जी के इस मंदिर में मांगी गई मुराद अवश्य पूर्ण होती है। मुराद पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में भंडारे का आयोजन करते हैं। मंदिर में कोटद्वार व आसपास के क्षेत्र ही नहीं, बिजनौर, मेरठ व दिल्ली से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
ऐसे में मंदिर की गरिमा बनी रहे, इसके लिए मंदिर समिति की ओर से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। इसी क्रम में मंदिर समिति ने मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से शालीन व मर्यादित वस्त्रों में ही मंदिर आने का आग्रह किया है।
सिद्धबली मंदिर के बारे में मान्यता है कि कलयुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को इसी स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी, जिस कारण उन्हें सिद्धबाबा कहा जाता है। गोरख पुराण के अनुसार, गुरू गोरखनाथ के गुरू मछेंद्रनाथ पवनसुत बजरंग बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकनी के साथ गृहस्थ आश्रम का सुख भोग रहे थे।
जब गुरू गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वे अपने गुरू को त्रिया राज्य के मुक्त कराने को चल पड़े। मान्यता है कि इसी स्थान पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरू गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया, जिसके बाद दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को परास्त नहीं कर पाया, जिसके बाद बजरंग बली अपने वास्तविक रूप में आ गए व गुरू गोरखनाथ के तपो-बल से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा।
गुरू गोरखनाथ ने बजरंग बली श्री हनुमान से इसी स्थान पर उनके प्रहरी के रूप में रहने की गुजारिश की। गुरू गोरखनाथ व बजरंग बली हनुमान के कारण ही इस स्थान का नाम ”सिद्धबली” पड़ा व आज भी यहां पवनपुत्र हनुमान प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद को साक्षात रूप में विराजमान रहते हैं।
मंदिर चाहे कोई भी हो, मंदिर में मर्यादित वस्त्रों को धारण कर ही भगवान के दर्शनों को जाना चाहिए। यह मंदिर में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह न सिर्फ अपने आचरण को शालीन रखे, बल्कि उसके पहनावे में भी शालीनता झलके। श्रद्धालुओं के आग्रह पर ही मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से मर्यादित वस्त्र पहन मंदिर आने के लिए कहा है।
–शैलेश जोशी, प्रबंधक, श्री सिद्धबली मंदिर समिति