नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी मो. उस्मान का घर तोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी. नैनीताल नगर पालिका ने रुक्कुट इलाके में रहने वाले कई और लोगों को भी घर खाली करने का नोटिस दिया गया था, जिस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगाई है. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 6 मई को होगी.
उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद नैनीताल नगर पालिका ने मो. उस्मान और अन्य को अतिक्रमण हटाने के संबंध में दिए गए नोटिस को वापस ले लिया है. नगर पालिका ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन न करने पर अपनी गलती स्वीकार की है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली तारीख पर पुलिस व नगर पालिका को कोर्ट के आदेशों के पालन की रिपोर्ट देनी है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में महाधिवक्ता, मुख्य स्थायी अधिवक्ता, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट समेत ईओ नगर पालिका को भी पेश होने को कहा है.
मो. उस्मान के वकील डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने नगर पालिका नैनीताल के उस नोटिस को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनौती दी थी, जिसमें नगर पालिका नैनीताल ने मो. उस्मान समेत अन्य लोगों को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. वकील डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने मो. उस्मान को दिए नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश हैं कि अतिक्रमण हटाने से पूर्व 15 दिन का नोटिस देना होता है, लेकिन नगर पालिका ने केवल 3 दिन का समय दिया, जबकि आरोपी जेल में है. इसके अलावा क्षेत्र के कई दर्जन अन्य लोगों को नोटिस हुए हैं. यह अपने आप में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है.
इस मामले की सुनवाई के लिये मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की स्पेशल बेंच बनी थी. सुनवाई के दौरान नैनीताल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल प्रह्लाद नारायण मीणा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व नैनीताल नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी प्रथम व द्वितीय कोर्ट में पेश हुए थे.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईओ (Executive Officer) को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको 1 मई को ही कैसे पता चला कि मकान अवैध भूमि पर बना है. वहीं, नगर पालिका ने तीन दिन के नोटिस पर अपनी गलती को माना. साथ ही कोर्ट को नोटिस वापस लेने की जानकारी दी.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी की गिरफ्तारी के बाद नैनीताल में हुए विरोध प्रदर्शन पर कड़ी नाराजगी जताई और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल सहित पुलिस को फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने ऐसे मामले ने सख्ती से निपटने की सलाह दी है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि घटना के समय लोग एक दूसरे की जान लेने के लिए उतारू थे, लेकिन पुलिस उन्हें शांत करने के बजाय घूम रही थी. पुलिस के उच्च अधिकारी व प्रशासन कई घंटे तक वहां मौजूद नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी को पेशी के लिए हल्द्वानी कोर्ट में पेश किया तो अधिवक्ताओं ने वहां भी विरोध प्रदर्शन किया और आरोपी के साथ हाथापाई तक की, जबकि आरोपी पुलिस की हिरासत में था. अब धरना प्रदर्शन करने की क्या जरूरत थी?
दरअसल, 30 अप्रैल की घटना के बाद लोगों ने आरोपी को पकड़ने के लिए थाने का घेराव भी किया था. उसके बाद भीड़ बढ़ने पर मारपीट व तोड़फोड़ भी हुई. कल इस संबंध में नैनीताल पूर्ण रूप से बंद रहा और जमकर धरना हुआ. भीड़ को देखकर नगर पालिका ने आरोपी के घर को ध्वस्त करने के लिए उसे तीन दिन का समय दिया, जिसको आज उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसपर कोर्ट ने रोक लगा दी है.
बता दें कि, बीती 30 अप्रैल रात को नैनीताल शहर में 65 साल के व्यक्ति पर 12 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म का आरोप लगा था. ये मामला सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया था. लोगों ने न सिर्फ हंगामा भी किया, बल्कि कुछ दुकानों में तोड़फोड़ भी की थी. इस घटना के विरोध में कल नैनीताल बंद भी रहा था. वैसे पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. वहीं इस मामले में नैनीताल नगर पालिका ने आरोपी के घर को अवैध बताते हुए तोड़ने का नोटिस दिया था, जिस पर आज हाईकोर्ट ने रोक लगा दी.