इस साल महानवमी 24 अक्तूबर, शनिवार और 25 अक्तूबर, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन माता के नौ स्वरूपों में से आखिरी स्वरूप यानी देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती हैं। महा नवमी के दिन ही नवरात्र के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन सुबह पूजा कर कन्या पूजन किया जाता है। इसके बाद व्रती स्वयं भी भोजन कर अपने व्रतों का पारण करते हैं।

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महानवमी पूजा विधि…

महानवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनकर पूजन स्थल पर जाएं।चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या फोटो विराजित करें।दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।फिर मां सिद्धिदात्री और मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।इसके बाद दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती पाठ करें।फिर मां सिद्धिदात्री का ध्यान करें।अब माता की आरती कर जयकारे लगाएं। साथ ही भोग भी लगाएं।ध्यान रखें कि कन्या पूजन का भोग भी पहले देवी दुर्गा को लगाया जाता है।

महानवमी पूजा की सामग्री…

कुमकुम, लाल झंडा, पान-सुपारी, कपूर, जयफल, लौंग, मिश्री, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केले, घी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, ज्योत, मिट्टी, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, फूलों का हार, उपला, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, कन्या पूजन के लिए फल, मिठाई, काले चने, हलवा, पूड़ी, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि।

महानवमी का विधान महानवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना का विधान हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना करता है उसे मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति देवी सिद्धिदात्री को मना लेता है उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति हर दशा-दिशा में विजय प्राप्त करता जाता है।

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