देहरादून : नीचे चस्पा अखबारी कतरन को पढ़िए और समझिये कि इसमें चार ठेकों को जोड़ कर एक ठेका बना दिया गया है और ठेकेदार की श्रेणी भी वर्गीकृत कर दी गयी है , इस वर्गीकरण से समझ आ जाना चाहिए कि विभाग चाहता है कि स्थानीय सतर्क छोटे ठेकेदार स्वतः ही इस टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो जाएं।

अब बात इस सूबे के लोक निर्माण विभाग के माननीय मंत्री Satpal Maharaj के उस बयान की जिसमे कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के दृष्टिगत ठेकों को छोटा करने की बात कही है और बाकायदा खबर भी छपी और हो सकता है मंत्री जी अपने इस बयान को सूबे में रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि भी मानते हों और उनके आस पास के लोग श्री मंत्री जी की जिंदाबाद भी कर रहे हों।

अब इन दोनों के इतर इस बात के व्यावहारिक पक्ष को समझिये कि स्थानीय ठेकेदारों को काम देने में सबसे बड़ी दिक्कत कमीशन की रकम मिलने में हो सकती है बातें फैलने का ज्यादा खतरा रहता है जबकि रुड़की मुजफ्फरनगरका ठेकेदार यदि नरेंद्रनगर में काम करेगा तो कमीशन के लिए बेहतर माहौल रहेगा।

दूसरा कि इस सूबे में कैबिनेट मंत्री केवल एक ही नही हैं और भी हैं और उन सबके भी अपने अपने हैं। फिर अपने तो अपने होते हैं क्या फर्क पड़ता है कि वे अपने टिहरी के हों या रुड़की मुजफ्फरनगर के …?

अंत में विभागीय मंत्रीगणों को विनम्र सुझाव कि ऐसे बयान मत दिया करो जिन्हें लागू न करवा सको। फिलहाल रुड़की वाले भैजी को अग्रिम बधाई उनके खास मंत्री जी को भी बधाई और अधीक्षण अभियंता महोदय को भी साधुवाद।
अखिलेश डिमरी

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