आईटीबीपी के हिमवीरों ने पहली बार हिमालय की माउंट बलबला पीक को फतह कर वहां तिरंगा फहराया। पहली बार कोई भारतीय दल इस चोटी पर पहुंच पाया है। 74 वर्ष पहले 25 अगस्त 1947 को स्विट्जरलैंड के दल ने इस चोटी को फतह किया था।

समुद्रतल से 21050 फीट ऊंचाई पर स्थित इस चोटी को फतह करने के लिए आईटीबीपी के 46 सदस्यीय दल को डीआईजी अपर्णा सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। चार सितंबर को पांच जवान और एक गाइड आखिरी बेस कैंप से चोटी को फतह करने के लिए निकले थे, जबकि अन्य बेस कैंप में ही रहे।

सुबह दल जब चोटी फतह करने निकला तो जबरदस्त बर्फबारी शुरू हो गई और तेज हवाएं चलने लगीं, जिसके बाद जवान दोपहर दो बजे बलबला की चोटी पर पहुंच गए।

यहां पर तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान गाकर जश्न मनाते हुए उन्होंने भारत माता की जय… और आईटीबीपी की जय… के नारे लगाए। यह चोटी बहुत खतरनाक मानी जाती है। यही कारण है कि 74 साल तक कोई भी इसे फतह करने में सफल नहीं रहा।

आईटीबीपी की तरफ से बताया गया कि चोटी को जहां से फतह करना था वहां चढ़ने के लिए फेस नहीं था। बाद में जिस रास्ते स्विट्जरलैंड का पर्वतारोही दल गया था। उसी रास्ते से ही जवानों को चोटी फतह करनी पड़ी।
46 सदस्यीय दल में चोटी को फतह करने वालों में कंपनी कमांडर भीम, सिपाही प्रवीण, सिपाही प्रदीप, सिपाही सुनील, पर्वतारोही गाइड राजेंद्र सिंह मर्तोलिया शामिल थे।

गाइड राजेंद्र सिंह मर्तोलिया ने बताया कि माउंट बलबला चोटी बेहद खतरनाक है। जब वे चोटी पर पहुंच रहे थे तो वहां का तापमान माइनस 30 डिग्री से भी कम था। चोटी पर सदियों पुराना ग्लेशियर है। यहां पर 90 डिग्री पर खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

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