नई दिल्ली: कोरोना वायरस की रफ्तार भारत के कई राज्यों में धीमी पड़ने से लोगों में राहत है। लेकिन केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों में कोरोना मामलों में तेजी आने से आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर जल्द आ सकती है। लेकिन इन आशंकाओं पर काशी हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) ने विराम लगाया है। बीएसचू के जंतु विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो कोरोना की तीसरी लहर आने में तीन महीन लगेंगे। इतना ही नहीं टीकाकरण अभियान इसे रोकने में काफी हद तक मदद भी करने वाला है।
कोरोना की पहली लहर से ही इस नई वायरस जनित बीमारी पर बारीकी से अध्ययन करने वाले BHU के जंतु विज्ञान के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे बताया कि कोरोना की तीसरी लहर आने में तीन महीने का वक्त लगेगा। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वो पहले की तरह घातक भी नहीं होगा। तीसरी लहर को टीकाकरण अभियान रोकने में काफी मदद करेगा, क्योंकि टीका लगवा चुके और कोरोना से ठीक हुए लोग एक विशेष प्रोटेक्टिव ग्रुप में सुरक्षित रहेंगे।
बच्चों पर ज्यादा असर नहीं
तीसरी लहर आने की आशंका को लेकर सबसे ज्यादा माता-पिता डरे हुए है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित होंगे। लेकिन इस आशंका पर ज्ञानेश्वर चौबे ने विराम लगाया है। उन्होंने कहा कि  पहले और दूसरे लहर को देखते हुए तीसरे लहर में भी बच्चे सुरक्षित होंगे।

मीडिया से बातचीत में वैज्ञानिक चौबे ने बताया कि अभी केरल और नॉर्थ ईस्ट के कुछ स्टेट्स में ही केस बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी सिर्फ यूपी में 10-20 केस ही इतने बड़े स्टेट के होने के बावजूद भी आ रहे हैं तो यह बड़ी बात है। केरल के लोगों में 40 प्रतिशत ही सीरो पॉजिटिविटी डेवलप हुई थी। जबकि यूपी में 70 प्रतिशत लोगों में सीरो पॉजिटिविटी डेवलप हो चुकी थी। केरल में एक महीने बाद केस कम आने लगेंगे और वह भी यूपी की तरह हो जाएगा. फिलहाल अभी तीसरी लहर नहीं आएगी।

उन्होंने तीसरी लहर का कारण बताते हुए कहा कि जैसा कि हर तीन महीने में एंटीबॉडी का स्तर गिर जाता है। इस लिहाज से अगले तीन महीने में एंटीबॉडी का लेवल गिर जाएगा और तीसरी लहर आ सकती है। लेकिन अभी चल रहा टीकाकरण अभियान अलग से कोरोना के खिलाफ लड़ने में मदद करेगा और हमारी इम्यूनिटी 70 प्रतिशत से ज्यादा रहने पर उस एरिया या ग्रुप में कोरोना का असर कम रहेगा और धीरे-धीरे कोरोना वायरस की फ्रीक्वेंसी घटने लगती है और यही हमको देखने को मिलेगा।
कोरोना को रोकना मुमकीन नहीं, लेकिन मौत की दर घटाया जा सकता है।
प्रो ज्ञानेश्वर चौबे ने यह भी बताया कि कोरोना को हमेशा के लिए खत्म नहीं किया जा सकता है। इस वायरस को रोका नहीं जा सकता है लेकिन मृत्यु दर को घटाया जा सकता है। जो लोग कोरोना का टीका लगा चुके हैं या जिन्हें कोरोना हो चुका है वो प्रोटेक्टिव ग्रुप में रहेंगे। ऐसे लोगों को भी दोबारा कोरोना होने पर इनकी मृत्युदर काफी कम है। ऐसे ग्रुप में दो-चार लाख लोगों में 1-2 की मृत्यु हो जाना बहुत बड़ी बात है। भले ही हमारी पूरी आबादी कोरोना संक्रमित हो जाए और हम मृत्युदर 0.1 या 1 प्रतिशत से भी नीचे रहेगी तो हम इस जंग को हम जीत लेंगे।
बच्चों के वैक्सीनेशन पर उन्होंने बताया कि बच्चों की वैक्सीन पर कैडिला कंपनी काम कर रही है और उम्मीद है अगले 3-4 माह में बच्चों की वैक्सीन भी बाजार में आ जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्चे इस लहर में भी कम प्रभावित होंगे।

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