देहरादून: खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा रोडवेज प्रबंधन अपने 800 कार्मिकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देने की तैयारी में जुट गया है। इस संबंध में रोडवेज की बोर्ड बैठक में हुए फैसले के क्रम में सूची तैयार की गई है। प्रबंधन ने दावा किया कि अगर ये कार्मिक वीआरएस लेते हैं तो इन्हें तत्काल ग्रेच्युटी और नगदीकरण का एकमुश्त लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही सेवाकाल के शेष वर्षों की एवज में मौजूदा प्रतिमाह वेतन का 25 फीसद भुगतान भी किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो रोडवेज को प्रतिमाह वेतन में साढ़े चार करोड़ की बचत होगी। वर्तमान में रोडवेज का प्रतिमाह वेतन का खर्च करीब 20 करोड़ रुपये है। प्रबंधन ने इस मामले में सभी कर्मचारी संगठनों से सहयोग मांगा है।

गुरुवार को रोडवेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट में शामिल की जाने वाली सुधारीकरण योजना को लेकर सभी कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ मुख्यालय में बैठक की। रोडवेज प्रबंध निदेशक नीरज खैरवाल इसमें वर्चुअल रूप से जुड़े, जबकि महाप्रबंधक (प्रशासन) श्याम सिंह व महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन समेत अन्य अधिकारी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। अधिकारियों ने वीआरएस को लेकर पैदा विरोध और भ्रम दूर करने का प्रयास किया।

अधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल के बाद से रोडवेज के वित्तीय हालात बेहद खराब चल रहे हैं। पिछले साल मार्च से इस साल जुलाई तक का वेतन राज्य सरकार से मिली मदद के आधार पर दिया गया, वो भी हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद। हाईकोर्ट ने सरकार को रोडवेज के सुचारू संचालन के लिए एक ठोस सुधारीकरण योजना बनाने के आदेश दिए थे। उसी क्रम में योजना बनाई गई है।

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