हिंदू पंचांग के अनुसार अक्टूबर माह में कई बड़े व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं। इस माह की शुरुआत पितृ पक्ष के साथ ही हो रही हैं। इसके साथ ही समाप्ति अहोई अष्टमी के साथ हो रहा है। इस माह इन्दिरा एकादशी, महालया, सर्वपितृ अमावस्या, नवरात्रि, दशहरा और करवाचौथ आदि व्रत-त्योहार पड़ेंगे। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए अक्टूबर माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में।

1 अक्तूबर 2021- दशमी श्राद्ध
दशमी तिथि को का श्राद्ध किया जाएगा यानि जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध आज किया जायेगा। दशमी तिथि
का श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती।

2 अक्तूबर 2021- इंदिरा एकादशी
इस एकादशी की खास बात यह है कि यह पितृपक्ष में आती है जिस कारण इसका महत्व बहुत अधिक हो जाता है। मान्यता है कि यदि कोई पूर्वज़ जाने-अंजाने हुए अपने पाप कर्मों के कारण यमराज के पास अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं तो इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को उनके नाम पर दान कर दिया जाये तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और मृत्युपर्यंत व्रती भी बैकुण्ठ में निवास करता है।

04 अक्तूबर 2021- प्रदोष व्रत
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त प्रदोष व्रत करने का विधान है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम व्रत कहा जाएगा। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

04 अक्तूबर 2021- मासिक शिवरात्रि
मास शिवरात्रि की पूजा चतुर्दशी तिथि के दौरान रात के समय किया जाता है और चतुर्दशी तिथि इस दिन रात 9 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर कल शाम 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। जिसके कारण मासिक शिवरात्रि 4 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

06 अक्तूबर 2021- सर्वपितृ अमावस्या
ये दिन पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। सर्वपितृ अमावस्या पर उन मृत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है, साथ ही मातामह, यानि नाना का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। इसमें दौहित्र, यानि बेटी के बेटे को ये श्राद्ध करना चाहिए। भले ही उसके नाना के पुत्र जीवित हों, लेकिन वो भी ये श्राद्ध करके उनका आशीर्वाद पा सकता है । इस श्राद्ध को करने वाला व्यक्ति अत्यंत सुख को पाता है । इसके अलावा जुड़वाओं का श्राद्ध, तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्या का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा ।

07 अक्तूबर 2021- शारदीय नवरात्रि प्रारंभ
नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इस दिन से लेकर पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों की पूजा की जायेगी। दरअसल वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह में नवरात्र आते हैं । चैत्र और आश्विन में आने वाले नवरात्र प्रमुख होते हैं, जबकि अन्य दो महीने पौष और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र के रूप में मनाये जाते हैं।

9 अक्टूबर 2021- विनायक गणेश चतुर्थी
शास्त्रों में नवरात्रि के दौरान पड़ने वाली चतुर्थी तिथि में गणपति की साधना का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्र में शक्ति की साधना से सब कुछ पाया जा सकता हैं और उन्हीं शक्तियों में से श्री गणेश भी एक हैं।

13 अक्तूबर 2021- दुर्गा अष्टमी
इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है। दुर्गा अष्टमी पर नौ कन्याओं का पूजन करते हुए इन्हें भोजन करवाया जाता है।

14 अक्तूबर 2021- महानवमी
महानवमी तिथि पर माता के आखिरी स्वरूप सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है। इसके साथ ही इस दिन हवन, कन्या पूज आदि करके मां दुर्गा को विदाई दी जाती है।

15 अक्तूबर 2021- विजयदशमी, दशहरा
विजयदशमी पर भगवान राम में रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्ति की थी। इसके अलावा इस दिन पर मां दुर्गा ने दैस्य महिषासुर का वध भी किया था। विजयदशमी को दशहरा भी कहा जाता है।

15 अक्तूबर 2021- बुद्ध जयंती
दशहरा के दिन ही बुद्ध जयंती भी मनाई जाएगी। इस तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।

16 अक्तूबर 2021- पापांकुशा एकादशी
एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। पाप रूपी हाथी को पुण्य रूपी अंकुश से भेदने के कारण ही इसे पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

19 अक्तूबर 2021- शरद पूर्णिमा, कोजागर पूजा
शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिनचांद की रोशनी में पूरी रात खीर रखकर दूसरे दुन उसका सेवन किया जाए तो सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। क्योंकि इस चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है।

24 अक्तूबर 2021- करवा चौथ
हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। शाम को सोलह श्रृंगार करके चंद्रमा को देखकर व्रत खोला जाता है।

28 अक्तूबर 2021- अहोई अष्टमी
यह व्रत  करवा चौथ से चार दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले मनाया जाता है।  इस दिन माता अहोई की पूजा-अर्चना की जाती है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत भी काफी कठोर माना जाता है।

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