टिहरी गढ़वाल: सोमवार सुबह शहीद सूबेदार अजय रौतेला का पार्थिव शरीर उनके गांव रामपुर लाया गया। घरवालों और ग्रामीणों ने उनके अंतिम दर्शन किए और अब सेना के जवान उनका पार्थिव शरीर लेकर ऋषिकेश रवाना हो रहे हैं। दोपहर में पूर्णानंद घाट ऋषिकेश में अंतिम संस्कार होगा ।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद उत्तराखंड के लाल सूबेदार अजय सिंह रौतेला व नायक हरेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर रविवार को जौलीग्रांट एयरपोर्ट में लाए गए। एयरपोर्ट पर गार्ड आफ आनर के बाद शहीदों के पार्थिव शरीर उनके मूल गांवों के लिए भेजे गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, मंत्री यतीश्वरानंद, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल तथा नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने शहीदों के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए। मुख्यमंत्री ने एयरपोर्ट पर पहुंचे शहीदों के स्वजन को ढांढस बंधाया।

उन्होंने ने कहा कि वीर जवानों की शहादत हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में हम शहीदों के परिवारों के साथ खड़े हैं। हमारी सरकार शहीदों को हमेशा अपनी स्मृति में रखेगी, क्योंकि उन्होंने देश की एकता, अखंडता और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। पूरा देश शहीदों का बलिदान हमेशा याद रखेगा। शहीद सूबेदार अजय सिंह निवासी खाड़ी रामपुर टिहरी गढ़वाल व नायक हरेंद्र सिंह लैंसडोन, पौड़ी गढ़वाल के हैं। इस दौरान उप जिलाधिकारी डोईवाला युक्ता मिश्र, तहसीलदार सुशील सैनी, कोतवाल राजेंद्र सिंह रावत आदि मौजूद रहे।

 

जम्मू के पूंछ में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद सूबेदार अजय रौतेला दो साल बाद सेवानिवृत्त होने वाले थे। रिटायरमेंट के बाद उनका गांव में ही मकान बनाने और खेती-बाड़ी करने का सपना था। रविवार को दिनभर उनके घर में सांत्वना देने वाले पहुंचते रहे।

खाड़ी के पास रामपुर गांव में सूबेदार अजय रौतेला की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही मातम पसरा है। शहीद की पत्नी विमला देवी और बेटों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि अजय रौतेला सितंबर में ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गए थे। पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनिल भंडारी ने बताया कि शहीद अजय रौतेला का परिवार देहरादून के क्लेमेनटाउन में मकान किराये पर लेकर रहता था। वहां पर उन्होंने मकान नहीं बनाया था। ऐसे में वह गांव में ही अब मकान बनाने की तैयारी में थे। वह काफी मिलनसार और नेक इंसान थे। गांव से जुड़े थे और गांव में ही आगे काम करने का सपना था, लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था। शहीद अजय का सपना अधूरा ही रह गया।

शहीद सूबेदार अजय रौतेला का बड़ा बेटा अरुण इंजीनियर है और बेंग्लुरू की कंपनी में कार्यरत है। जबकि, उनके जुड़वा बेटे अमित और सुमित 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं, जिन्हें अजय सेना में ही भेजना चाहते थे। वो अक्सर इस बात का जिक्र करते थे।

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