उत्तराखंड में बारिश के कहर से पहाड़ के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कुमाऊं के कई जिलों के पेट्रोल पंपों में पेट्रोल-डीजल खत्म होने के बोर्ड लगने शुरू हो गए हैं। पहाड़ों में फंसे पर्यटकों समेत जरूरतमंदों की इससे दिक्कतें और बढ़ रही हैं। हालांकि तराई में स्थिति अभी सामान्य है। हालांकि गुरुवार को भीमताल को तेल का टैंकर भेज दिया गया है। टनकपुर के रास्ते चम्पावत और पिथौरागढ़ को भी देर शाम तक तेल की सप्लाई शुरू हो सकती है।

फिलहाल पहाड़ों में पेट्रोल-डीजल खत्म होने से लोगों के वाहन घरों में खड़े हो गए हैं। टैक्सी और बस चालक सवारियां होने के बाद भी तेल के चक्कर में बुकिंग पर नहीं जा पा रहे हैं। यह स्थिति कब तक सामान्य होगी, फिलहाल अधिकारी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं बता पा रहे हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मार्ग अवरुद्ध होने से पेट्रोल-डीजल की सप्लाई चुनौती बनी हुई है।

पर्यटन नगरी नैनीताल में भी पेट्रोल-डीजल का संकट पैदा हो गया है। केएमवीएन की ओर से सूखाताल में संचालित पेट्रोल पंप प्रभारी केसी खोलिया ने बताया पंप में बुधवार देर शाम से पेट्रोल-डीजल खत्म हो गया था। ज्योलीकोट के समीप चार बड़े वाहन फंसे हैं। इसके चलते शहर तक पेट्रोल-डीजल नहीं पहुंच पाया। हालांकि अति आवश्यकीय कार्यों के लिए कुछ मात्रा में पेट्रोल और डीजल रोका गया है। तल्लीताल क्षेत्र में संचालित पंप में डीजल नहीं है।

बागेश्वर जिले में नौ पेट्रोल पंप हैं। इनमें दो में तेल खत्म हो गया है। सात में भी सबको तेल नहीं मिल रहा है। जिला पूर्ति अधिकारी अरुण वर्मा ने बताया अनावश्यक पेट्रो पदार्थ की बिक्री पर रोक लगाई है।

अल्मोड़ा जिले में 15 पेट्रोल पंप हैं। जिला मुख्यालय में पांच पंप हैं। इनमें से केवल दो में आज तक के लिए तेल बचा है। जिले के अन्य पंपों में डीजल-पेट्रोल नहीं है। इसके चलते लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

पिथौरागढ़ जनपद में 12 पेट्रोल पंप हैं। जिला मुख्यालय के छह पंपों में तेल समाप्त हो गया है। अन्य पंपों में भी आज के लिए तेल बचा हुआ है। इससे लोगों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

पिथौरागढ़ जाने वाला तेल का टैंकर आपदा के एक दिन पहले से ही भरा हुआ खड़ा है। गुरुवार शाम को यह टनकपुर के रास्ते रवाना हो सकता है।
वीरेंद्र सिंह चड्ढा, अध्यक्ष, पर्वतीय पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन

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