पिथौरागढ़ : उच्च हिमालयी दारमा घाटी में हिमपात और मार्ग बंद होने से फंसे ग्रामीणो को हेलीकाप्टर से निकालने का कार्य दूसरे दिन भी जारी रहा। सेना और सरकार के हेलीकाप्टर ने सात उड़ानें भर 44 लोगों को धारचुला पहुंचाया।

दारमा घाटी के 14 गांवों के ग्रामीण शीतकालीन माइग्रेशन करने लगे हैं। दारमा की चोटियों में इस बीच तीन बार हिमपात हो चुका है। दारमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-तिदांग मार्ग 17 अक्टूबर से बंद है। बीते दिनों दारमा गए पर्यटकों को तो सेना के हेलीकाप्टर से निकाला गया। इसी दौरान ग्रामीण भी शीतकालीन प्रवास के लिए घाटियों की तरफ आने लगे। मार्ग बंद होने से ग्रामीण मार्ग में फंस गए। वहीं उच्च हिमालय में मौसम को लेकर ग्रामीणों के सम्मुख उच्च हिमालय से निचले क्षेत्रों तक शीघ्र पहुंचने को लेकर मार्ग बाधक बन गया।

 

माइग्रेशन के दौरान ग्रामीणों के फंसने के बाद प्रशासन और सरकार से हेलीकाप्टर से ग्रामीणों को निकालने की मांग की गई। इस मांग पर जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने शासन और सेना से हेलीकाप्टर की मांग की। इस मांग पर सेना और सरकार का हेलीकाप्टर पहुंचे। शुक्रवार का पहले दिन 16 ग्रामीणों को दारमा से हेलीकाप्टर से धारचूला लाया गया। शनिवार को सरकार के हेलीकाप्टर ने बौन, दुग्तु और फिलम तक पांच चक्कर लगाए और 23 लोगों को धारचूला पहुंचाया। सेना के हेलीकाप्टर ने ढाकर तक दो चक्कर लगा कर 21 लोगों को धारचूला पहुंचाया। तहसील प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार सेना के हेलीकाप्टर से रविवार को भी रेक्स्यू जारी रहेगा।

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