देहरादून: उत्तराखंड सरकार बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए टैबलेट वितरण कर रही है, पर उत्तराखंड के 426 गांवों में आज भी मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह तथ्य रखा गया था। स्थिति यह है कि मोबाइल कनेक्टिविटी के मामले में उत्तराखंड उत्तर भारत में सबसे पिछड़ा हुआ राज्य है।

उक्त रिपोर्ट के मुताबिक, जिस वेस्ट यूपी सर्किल में पूरा उत्तराखंड शामिल है, उसमें इंटरनेट की स्पीड बाकी सर्किलों के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में बिना कनेक्टिविटी के इन गांवों के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे कर पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। यही कारण रहा कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं में हाजिरी 30 प्रतिशत भी पूरी नहीं हो पाई।

उत्तराखंड के अधिकांश पर्वतीय इलाकों में मोबाइल इंटरनेट की स्थिति बेहद खराब है। पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए तो हिमाचल और उत्तर प्रदेश की स्थिति बेहतर है। वहीं जम्मू कश्मीर में मात्र 154 ही ऐसे गांव हैं, जो मोबाइल कनेक्टिविटी से छूटे हुए हैं। वहीं इंटरनेट की अच्छी स्पीड भी नहीं मिलना उत्तराखंड में एक बड़ा सवाल है।

कनेक्टविटी और इंटरनेट की पहुंच काफी अच्छी है, पर पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल इंटरनेट आज भी एक चुनौती है। कोविड के समय भी इंटरनेट कनेक्टिविटी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुई है। हालांकि देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। पर्वतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चार हजार से अधिक गांवों में मोबाइल सिग्नल नहीं आते।

उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालय कैंपस और कॉलेजों तक में विद्यार्थियों को वाईफाई की सुविधा नहीं मिल रही है। चुनावों में विद्यार्थियों से जुड़ा यह मुद्दा काफी अहम रहा है, पर अब भी अधिकांश कॉलेज कैंपस में फ्री वाईफाई जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं है। पर्वतीय इलाकों में यह विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई के अनुरूप कोर्स भी यहां उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई अब भी एक चुनौती बनी हुई है।

दुनिया में तमाम ऐसे देश हैं जो कठिन भौगोलिक इलाकों तक में इंटरनेट सेवा पहुंचा रहे हैं पर उत्तराखंड में इसे लेकर अब भी समस्या बनी है। दरअसल, प्राइवेट कंपनियां मुनाफे वाले इलाकों पर अधिक फोकस रखती हैं, जबकि सरकारी कंपनी पूरी क्षमता से 4जी सेवा नहीं दे पा रही हैं। सरकार ने इंटरनेट पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिससे भविष्य में कवरेज एरिया बढ़ने की उम्मीद है।

वैदिक मिश्रा, टेलीकॉम इंजीनियर (सेवानिवृत्त)

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