देहरादून:/रामनगर: आज दिनभर रामनगर सीट को लेकर तमाम तरह की बातें होती रही और सल्ट से पूर्व विधायक रणजीत रावत का कहना है कि वह तो रामनगर से चुनाव लड़ेंगे। यह माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह के द्वारा एक माहौल बनाया जा रहा है। ताकि हरीश रावत रामनगर से भाग जाए। लेकिन जिस अंदाज में हरीश रावत कैंपेन कमेटी के हैड हैं। और उन्होंने खुद को एक चेहरे के रूप में प्रायोजित जीत कर रखा है। उससे नहीं लगता है कि हरीश रावत अब रामनगर से चुनाव लड़ने के अपने निर्णय से वापस आएंगे। यह उसी प्रकार का निर्णय है जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के सीएम फेस पुष्कर धामी है और उनका नाम खटीमा विधानसभा से अनाउंस हो गया है अब अगर इलेवंथ आवर में पुष्कर सिंह धामी खटीमा की बजाय किसी दूसरे सीट पर जाते हैं। तो सीधा-सीधा संदेश जाएगा वह खटीमा नहीं जीत पा रहे हैं। और किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में इस प्रकार की बातें आएंगी तो इससे लगेगा कि उस पारी पार्टी की सरकार भी नहीं आ रही है। तो लिहाजा अब रामनगर से रणजीत रावत निर्दलीय लड़े या किसी दूसरे दल से लड़ें या कुछ भी करें लेकिन इस बात की दूर-दूर तक संभावना नहीं है। कि हरीश रावत 28 जनवरी को रामनगर से नामांकन ना कराएं। यानी कि यह साफ है कि 28 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रामनगर से नामांकन करवाएंगे इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी एक पोस्ट की है। क्या कहा है यह भी आपको पढ़ाते हैं..

#Ramnagar
मैं आभारी हूँ पार्टी नेतृत्व का उन्होंने मुझे रामनगर की जनता जनार्दन का आशीर्वाद पाने के लिए अधिकृत किया है। मेरे मन के कोने में बहुत समय से ये आकांक्षा छिपी हुई थी कि मैं कभी रामनगर से चुनाव लड़ू। जब मैंने वयस्क होने की तरफ कदम बढ़ाए तो मेरी सारी स्मृतियाँ रामनगर और उसके चारों तरफ के इलाके की घटनाओं, यादों, साथियों, गलियों, चेहरों, बगीचों, चाय के खुमचों, चाट-पकोड़ी की दुकानों के साथ जुड़ी हुई हैं। मैंने अपने राजनैतिक जीवन की अ-आ, क-ख भी रामनगर में ही सीखी। जब मैं इंटर की शिक्षा ग्रहण करने यहां आया तो मेरे राजनीति ट्यूटर सुशील कुमार निरंजन जी, जय दत्त जोशी जी, शिवप्रकाश अग्रवाल जी, विष्णु कामरेड जी, कैलाश जोशी जी, ललित दुर्गापाल जी, कॉमरेड हरिदासी लाल जी जैसे कई लोग थे, जिनके सानिध्य में मैंने बात करना, तर्क करना और कुछ राजनैतिक चीजों पर चिंतन करना प्रारंभ किया जो एक पूंजी के साथ आज भी मेरे काम आ रहा है। मेरे राजनैतिक जीवन की हल्की सी बुनियाद एम.पी. इंटर कॉलेज, ललदा और डंगवाल साहब, जोशी जी व अल्ला रखे चाय की दुकान पर पड़ी और बहुत कुछ एम.पी. इंटर कॉलेज के फील्ड में सीखा, जो कुछ सीखा वो पूंजी बनकर आज भी मेरे साथ है। उस समय के बहुत सारे साथी, सहयोगी आज भी मुझे बहुत याद आते हैं। क्योंकि उस समय की दोस्ती निश्चल दोस्ती होती थी, उसमें आज की राजनीति के छल, फरेब, घमंड, अहंकार आदि नहीं थे, जैसे दिखते थे वैसे ही कहते थे। मेरे अंदर का वो हरीश रावत जो रामनगर से कुछ सीख कर आगे बढ़ा, कभी भी बूढ़ा नहीं हुआ, कभी थक कर के सोया नहीं। मन के कोने में हमेशा रामनगर के लिए एक लालसा रही। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने कुछ कार्य पत्रं-पुष्पम् के तौर पर यहां के लिए स्वीकृति किये। बस अड्डे का काम जिस रूप में मैंने स्वीकृत किया था, उस रूप में आगे नहीं बढ़ रहा है। मालधन को जोड़ने वाली सड़क भी जिस तर्ज पर मैंने स्वीकृति की थी, उस तर्ज पर आगे नहीं बड़ी, परंतु डिग्री कॉलेज बन गया। मैंने कोशिश की थी कि मैं गर्जिया माता के चारों तरफ कुछ ऐसा सुरक्षात्मक कार्य करूँ, कुछ धन हमने स्वीकृत भी किया, खर्च भी हुआ। मगर जैसा मैं चाहता था, वैसा नहीं हो पाया। आज भी मुझे दोनों तरफ, गढ़वाल की तरफ भी और अल्मोड़ा की तरफ भी जाने वाली सड़क की स्थिति बहुत खटकती है। सत्यता तो यह है कि रामनगर से लगा हुआ बेतालघाट, खैरना इधर गुजणु पट्टी होकर के बैजरौ व उससे आगे का इलाका और सल्ट, चिंतोली होकर के गैरसैंण तक का इलाका, भतरौजखान-रानीखेत-अल्मोड़े का इलाका विकास की दौड़ में तुलनात्मक रूप से पीछे है। रामनगर इन क्षेत्रों का केंद्र बिंदु है, रामनगर में इन क्षेत्रों के विकास के ग्रोथ सेंटर होने की पूरी संभावनाएं व क्षमताएं विद्यमान हैं। मेरी आकांक्षा है कि राज्य में ऐसी सरकार बने जो ऐसा कर सके, यह उत्तराखंड के विकास में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
आप लोग जानते हैं यदि आपने हरीश रावत को अवसर दिया, तो हरीश रावत रामनगर से लगे हुए क्षेत्रों की आकांक्षाओं को पूरा करने का काम कर सकता है, इस भू-भाग के विकास में एक बड़ा अंतर पैदा कर सकता है। मैं तो केवल आपके अपनत्व की धारा को प्रभावित करने के लिए हाथ जोड़कर के खड़ा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि जो आदेश पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने दिया है, मैं उस आदेश को सफलतापूर्वक आपका आशीर्वाद प्राप्त कर पूरा कर पाऊंगा।
“जय उत्तराखंड, जय उत्तराखंडियत-जय रामनगर”।
#Uttarakhand

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