अपनी शर्त् पर राजनीति के खिलाड़ी मुन्ना भाजपा के सामने ढेर

पत्नी के स्वास्थ्य ने रोकी मुन्ना की राह !

33 वर्षों से जौनसार बावर के वोट बैंक पर रहा मुन्ना चौहान का कब्जा :

मुन्ना चौहान ने पहला विधानसभा चुनाव 1989 में श्री गुलाब सिंह, शूरवीर सिंह के साथ लड़ा था जिसमें गुलाब सिंह विजयी हुए और शूरवीर सिंह दूसरे स्थान पर रहे, जबकि मुन्ना चौहान तीसरे स्थान पर रहे। दूसरा चुनाव 1991 में मुन्ना सिंह और प्रीतम सिंह के बीच में हुआ जिसमें मुन्ना सिंह 6400 मतों से विजयी हुए और प्रीतम सिंह दूसरे स्थान पर रहे।
तीसरा चुनाव 1993 में पंडित शिवराम, मुन्ना चौहान और प्रीतम सिंह के बीच में हुआ था जिसमें प्रीतम सिंह 500 मतों से विजयी हुए। और मुन्ना सिंह चौहान दूसरे स्थान पर रहे! चौथा विधानसभा चुनाव 1996 में हुआ जब मुन्ना चौहान ने समाजवादी पार्टी से और प्रीतम सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे, तब मुन्ना चौहान 17000 वोटों से विजयी हुए और प्रीतम सिंह दूसरे स्थान पर रहे।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहला चुनाव 2002 में हुआ प्रदेश में परिसीमन हो गया था मुन्ना चौहान ने उत्तराखंड जनवादी पार्टी बनाई और स्वयं दो जगह चकराता और विकास नगर से चुनाव लड़ा दुर्भाग्यवश चौहान जी दोनों ही जगह से चुनाव हार गए विकासनगर से कांग्रेस के नवप्रभात से मात्र 58 वोटों से, जबकि चकराता में कांग्रेस के प्रीतम सिंह से 8000 मतों के अंतर से हार गए। इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से मूरत राम शर्मा चुनाव मैदान में थे उन्हें 5600 बोट हासिल हुए थे।
2007 के चुनाव में जौनसार बावर की राजनीति में नया मोड़ आया। मुन्ना चौहान विभिन्न राजनीतिक दलों मे रहने के बाद जौनसार बावर के वोट बैंक को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे, और परिवारवाद के सख्त विरोधी होने के बावजूद भी 2007 में मुन्ना चौहान ने चकराता से अपनी धर्मपत्नी मधु चौहान को विधानसभा चुनाव में उतारा और यह चुनाव कांग्रेस के प्रीतम सिंह और निर्दलीय मधु चौहान के बीच में हुआ जिसमें प्रीतम सिंह 3700 मतों से विजयी हो गए। मधु चौहान दूसरे स्थान पर रही जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रताप सिंह रावत लगभग 2800 बोट ही कमल के फूल पर डलवा पाए। उधर विकास नगर में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मुन्ना सिंह चौहान ने कांग्रेस के नवप्रभात को 5400 मतों से हराकर उत्तराखंड विधानसभा में पहुंचे।
2007 के विधानसभा चुनाव मे भाजपा को यह बात हजम नहीं हुई कि स्वयं मुन्ना सिंह चौहान विकास नगर से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत रहे हैं और चकराता में अपने पत्नी को निर्दलीय खड़ा कर रहे हैं, परिणाम स्वरूप विधि का कुछ ऐसा विधान हुआ कि मुन्ना चौहान ने 2009 में भारतीय जनता पार्टी और विधायकी से त्यागपत्र दे दिया। 3 महीने बाद उपचुनाव हुआ और यह चुनाव मुन्ना चौहान बुरी तरीके से हार गए। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुलदीप कुमार, कांग्रेस के नवप्रभात से 596 मतों के मामूली अंतर से जीत गए।
2012 के विधानसभा चुनाव में चकराता विधानसभा से एक बार पुनः मुन्ना चौहान और प्रीतम सिंह का आमना-सामना हुआ कांग्रेस के प्रीतम सिंह ने निर्दलीय मुन्ना चौहान को 6600 वोटों से हरा दीया। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में कमला चौहान को मात्र 1860 मत ही प्राप्त हो सके ।
यह बात अलग है कि भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद भी मुन्ना चौहान अपनी पत्नी मधु चौहान को विधायक तो नहीं परंतु जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफल हुए हैं। और कुछ समय बाद मुन्ना चौहान पुणः भारतीय जनता पार्टी शामिल हो गए ।
भारतीय जनता पार्टी की छटपटाहट हमेशा चकराता को जीतने की रही और 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक परिवार से दो टिकट देते हुए मधु चौहान को चकराता और मुन्ना चौहान को विकास नगर से प्रत्याशी बनाया।परिणाम स्वरूप मुन्ना चौहान कांग्रेस के नवप्रभात से 6422 मतों से विजयी हुए जबकि चकराता से मधु चौहान कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह से मात्र 1534 के मामूली अंतर से चुनाव हार गई। यहां विषय भी ध्यान रखने योग्य है कि भारतीय जनता पार्टी को चकराता में पहली बार मधु चौहान के रूप में 33425 मत प्राप्त हुएl
2022 का चुनावी रण पूरी तरह सज चुका है, इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रीतम सिंह और भारतीय जनता पार्टी ने एक परिवार को एक टिकट का फार्मूला अपनाते हुए मधु चौहान की प्रबल दावेदारी के बावजूद अपना प्रत्याशी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामशरण नौटियाल को चुनावी रण में उतारा है। अब देखना यह है कि चौहान दंपति का व्यक्तिगत वोट रामशरण नौटियाल को स्थानांतरित होता है कि नहीं ?
यह पहला अवसर होगा जब जौनसार बावर के लोग 33 वर्षों में पहली बार मुन्ना चौहान दंपति को छोड़कर किसी अन्य को वोट डालेंगे। जौनसार बावर में हजारों लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने 1989 में पहली बार 18 वर्ष पूरे होने पर अपने वोट की शुरुआत मुन्ना चौहान से की और आज उस मतदाता की आयु 51 वर्ष हो चुकी है जो लगातार तब से अब तक उन्होंने न किसी राजनीतिक दल को देखा और न विचारधारा को बल्कि सिर्फ और सिर्फ मुन्ना चौहान के नाम पर वोट देते आए हैं। जौनसार बावर के वोट बैंक पर चौहान दंपति का पूरी तरीके से कब्जा बनाए हुए हैं। उधर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी से आज तक अपना वोट बैंक बनाए हुए हैं जिस पर पहले स्वर्गीय श्री गुलाब सिंह एवं वर्तमान में प्रीतम सिंह कब्जा जमाए हुए हैं!

सम्पादित लेख भारत चौहान की वाल से साभार

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