हल्द्वानी: देवभूमि की सुंदरता में चार चांद लगाने वाला बुरांश पर्वतीय अंचलों में खिल गया है। इससे पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है। जंगलों में खिले बुरांश के फूल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर सहित पहाड़ के अनेक जंगलों में बुरांश के फूल खिले हुए हैं।

औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश के फूल उत्तराखंडी संस्कृति में भी अहम स्थान रखता है। बुरांश के फूल का प्रयोग उत्तराखंड में सबसे अधिक जूस बनाने के लिए किया जाता है। इसका जूस प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में प्रसिद्ध है। बुरांश के फूल से बनने वाला शरबत, लू से बचाने में भी बेहद कारगर होता है।

 

बता दें कि, हिमालयी क्षेत्र में 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांश लाल, गुलाबी और सफेद तीन रंगों का होता है। हिमालय की तलहटी में जहां लाल और गुलाबी रंग के बुरांश अपनी सुंदरता बिखेरते हैं तो उच्च हिमालयी इलाकों में सफेद रंग का बुरांश बहुतायत में मिलता है। कहा जाता है वसंत ऋतु में यह फूल सभी फूलों से पहले खिल जाता है। मानो कहीं दूसरा फूल इससे पहले ना खिल जाए। बता दें कि उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश नेपाल का राष्ट्रीय फूल है. हिमाचल और नागालैंड राज्यों में इसे राज्य पुष्प का दर्जा मिला हुआ है।

वहीं, उत्तराखंड के जाने-माने लोककवि गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ ने भी अपनी रचनाओं में बुरांश की सुंदरता का बखान किया था। बुरांश के पेड़ को पहाड़ के लोकजीवन में गहरी आत्मीयता मिली हुई है, इसलिए इसे राज्य वृक्ष का गौरव प्राप्त है।

सेहत के लिए गुणकारी है बुरांश

बुरांश अपनी सुंदरता के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी विख्तात है। बुरांश की पंखुड़ियों से निकलने वाला गुणकारी रस हृदय व उदर रोग के लिए लाभकारी माना जाता है। इसका उपयोग रंग बनाने के लिए भी होता है।

 

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