देहरादून: व्यासी बांध परियोजना की साठ मेगावाट की पहली टरबाइन से रविवार दिन में पानी की कमी के चलते उत्पादन ठप रहा। व्यासी बांध परियोजना प्रबंधन ने पानी की कमी को पूरा करने के लिए दिनभर झील में पानी को भरकर 627 आरएल मीटर तक पहुंचाया। इसके बाद शाम छह बजे से नौ बजे तक परियोजना से तीन घंटे तक साठ मेगावाट के हिसाब से बिजली का उत्पादन किया गया।

यमुना नदी में बनी व्यासी बांध परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। बांध परियोजना की पहली टरबाइन भी सभी टेस्टिंग को पूरा करने के बाद कुछ दिनों से बिजली उत्पादन कर रही है, जबकि दूसरी टरबाइन भी उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार है। दूसरी टरबाइन की कुछ औपचारिक टेस्टिंग शेष हैं।

बिजली के उत्पादन में पहली टरबाइन को चलाने में सबसे बड़ी दिक्कत पानी की आ रही है। झील में पानी कम होने के चलते बिजली के उत्पादन पर असर पड़ने लगा है।  बांध की झील का जल स्तर 626 आरएल है। जिसके बाद जलस्तर को घटाया नहीं जा सकता है। जलस्तर 626 आरएल मीटर आने के बाद रविवार को बिजली का उत्पादन बंद कर दिया गया। प्रबंधन की ओर से दिनभर झील में पानी का जलस्तर बढ़ाया गया। परियोजना प्रबंधन का दावा है कि झील के जलस्तर को 627 आरएल मीटर पर पहुंचाने के बाद शाम छह बजे से नौ बजे तक साठ मेगावाट क्षमता के साथ कुल तीन घंटे तक उत्पादन किया गया। यूजेवीएनएल के अधिशासी निदेशक हिमांशु अवस्थी का कहना है कि 626 आरएल मीटर तक ही उत्पादन किया जा सकता है।

उसके बाद पानी का लेबल कम नहीं किया जा सकता है। रविवार को जलस्तर घट जाने के बाद एक टरबाइन से हो रहे उत्पादन को रोकना पड़ा और झील में पानी भरा गया। जलस्तर 627 आरएल मीटर तक पानी भरने के बाद तीन घंटे के लिए परियोजना से बिजली उत्पादन किया गया। उन्होंने कहा यह परियोजना पीक आवर में ही उत्पादन करने के लिए बनी है।

अधिशासी निदेशक पावर हाउस हिमांशु जोशी ने बताया कि सोमवार से पहली टरबाइन को बंद कर दूसरी टरबाइन को ट्रायल रन पर रखा जाना था। लेकिन दूसरी टरबाइन के कुछ टेस्ट शेष हैं, जिनको बीएचएल लगातार कर रहा है। कहा कि सोमवार को भी कुछ टेस्टिंग के काम होने बचे हैं। उनके पूरे होने के बाद सोमवार देर रात अथवा मंगलवार से दूसरी टरबाइन को ट्रायल रन पर चलाया जायेगा।

व्यासी बांध परियोजना की झील में 12 अप्रैल तक पानी भर जाने से झील का पानी लोहारी गांव तक पहुंचा। जल स्तर बढ़ने से गांव तक हजारों मछलियां पहुंच गयी। लेकिन जब झील के पानी का डिस्चार्ज बांध परियोजना में किया गया तो जल स्तर घटने के साथ ही हजारों मछलियां मर गईं। झील में बने तालाबों का पानी सूखने के बादे जगह- जगह मरी हुई मछलियों के ढेर लगे हैं।

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