देहरादून: वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने सरकारी अस्पतालों के सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। अस्पतालों में दो फीसदी रोगियों के इलाज को भी दवाएं नहीं हैं। बाहर से दवाएं लिखने पर मरीजों के गुस्से का सामना डॉक्टरों को करना पड़ता है।
शनिवार को एक होटल में डीजी हेल्थ डॉ. तृप्ति बहुगुणा के विदाई समारोह में कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशयन ने अपनी बात रखी। उनका आरोप है कि उन्हें रोका गया और माइक तक बंद कर दिया। उन्होंने मांग उठाई कि स्वास्थ्य महानिदेशक किसी आईएएस को बना देना चाहिए। क्योंकि, डॉक्टर से विभाग नहीं संभल रहा है।
डॉ. बिष्ट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल मरीजों को धक्का देने के लिए नहीं हैं। महानिदेशालय को अस्पतालों में दवाई उपलब्ध करानी चाहिए। उधर, सीएमएस जिला अस्पताल डॉ. शिखा जंगपांगी का कहना है कि अस्पताल में रूटीन दवाएं उपलब्ध हैं। डिमांड के अनुरूप दवाएं मंगाई जाती हैं।
डॉ. एनएस बिष्ट ने आरोप लगाया है कि डीजी ऑफिस में बेवजह की बैठक कर नेताओं और अफसरों पर व्यक्तिगत कटाक्ष किए जाते हैं। विगत दिनों हुई एक बैठक में प्रदेश के एक बड़े नेता के इलाज के बारे में डिस्कस किया गया और उनकी दवाओं को लेकर खिल्ली उड़ाई गई, जो सही नहीं है। इनमें सिर्फ अस्पताल में बैठे डॉक्टरों को परेशान किया जाता है। स्वास्थ्य महानिदेशालय में कोई प्रोटोकॉल और अनुशासन नहीं है।