सियासी ही नहीं माली तौर पर भी दिल्ली दरबार के रहमोकरम पर उत्तराखंड सरकार

-2019–20 में राज्य की राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा 27.05 प्रतिशत था

2021–22 में राज्य की राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा और बढ़ 46.81 फीसद हुआ

प्रदेश पर घरेलू ऋण से राजस्व प्राप्तियां 2019–20 में 18.54 फीसद थीं जो 2021–22 में वह बढ़कर 59.58 फीसद हुई

अरविंद शेखर

सियासी ही नहीं बल्कि माली तौर पर भी उत्तराखंड़ सरकार धीरे–धीरे दिल्ली के रहमोकरम के आसरे हो रही है। जी हां‚ उत्तराखंड आर्थिक तौर पर धीरे–धीरे केंद्र सरकार पर अधिक से अधिक निर्भर होता जा रहा है। सूबे की माली हालत को देखते हुए सरकार के लिए आने वाला समय खासी चुनौती वाला साबित होने वाला है। उत्तराखंड राज्य अर्थ एवं संख्या निदेशालय का ताजा बजट विश्लेषण आसन्न खतरे की ओर इशारा कर रहा है। खतरा इसलिए कि राज्य का राजस्व अपने भरोसे नहीं बल्कि दिल्ली की कृपा से बढ़ रहा है। जून में केंद्र सरकार जीएसटी का मुआवजा देना बंद करने वाली है। ऐसे में सरकार को अपने खर्च पूरे करने के लिए उधार लेना होगा लेकिन आलम यह है कि प्रदेश सरकार क राजस्व प्राप्तियों का अधिकांश हिस्सा केंद्र की दया पर निर्भर होता जा रहा है तो वहीं घरेलू @ण भी बढÃता जा रहा है। यह प्रदेश के माली सेहत के लिए खतरनाक कॉकटेल साबित हो सकता है।
हाल में ही बीते तीन वित्तीय वर्षों 2019-2020, 2020-2021 और 2021-2022 के बजट की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड सरकार की राजस्व प्राप्तियां 2019-20 में 3071429 लाख रुपये थी जो कि 2020-21 में 20.41 फीसद बढ़कर3698247 लाख रुपये और 2021-22 में 19.36 प्रतिशत बढ़कर 4414148 लाख रुपये हो गईं।

लेकिन संकट की बात यह है कि राजस्व प्राप्तियों में केंद्र सरकार का हिस्सा बढ़ता ही जा रहा है। 2019-20 में राज्य के राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा 27.05 फीसद था। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा 48.90 फीसद, ब्याज व संपत्ति से राजस्व का हिस्सा 1.82 फीसद, अन्य स्रोतों का हिस्सा 22.23 प्रतिशत था।

2020-21 में राज्य के राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा बढकर 45.29 फीसद हो गया। इस साल प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा घटकर 37.74 फीसद रह गया, ब्याज व संपत्ति से राजस्व का हिस्सा भी घटकर 1.44 फीसद हो गया व अन्य स्रोतों का हिस्सा भी घटकर 15.53 फीसद ही रह गया।

2021-22 में भी यही प्रवृत्ति जारी है। राज्य के राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा और बढकर 46.81 फीसद हो गया। इस साल प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा मामूली बढ़कर 37.98 फीसद रह गया, ब्याज व संपत्ति से राजस्व का हिस्सा कुछ बढ़कर 2.06 फीसद हो गया व अन्य स्रोतों का हिस्सा और घटकर 13.15 फीसद ही रह गया।

इतना ही नहीं प्रदेश पर घरेलू ऋण का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। 2019-20 में राज्य को ऋण, एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण का हिस्सा महज 18.54 फीसद था जबकि 2021-22 में वह बढ़कर 59.58 फीसद हो गया है।

बीते तीन साल के आंकड़े देखें तो 2019-20 में राज्य को ऋण, एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण से 18.54 फीसद, जमा व एडवांस का 4.97 प्रतिशत, सस्पेंस, विविध एवं अन्य का 76.46 फीसद हिस्सा था। 2020-21 में राज्य को ऋण, एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण से 48.91 फीसद, जमा व एडवांस का 10.74 प्रतिशत, सस्पेंस, विविध एवं अन्य का 28 फीसद व रेमिटेंसेस का 12.35 फीसद हिस्सा था।

2021-22 में राज्य को ऋण, एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण का हिस्सा और बढ़कर 59.58 फीसद हो गया, जमा व एडवांस का 17.85 प्रतिशत, सस्पेंस, विविध एवं अन्य का 20.14फीसद व रेमिटेंसेस का हिस्सा घटकर 2.44 फीसद रह गया है।

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