देहरादून:  सरकार ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हुए भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ी, खरीद और परीक्षाओं में हुई धांधलियों की विजिलेंस जांच कराने का निर्णय लिया है। अपर सचिव कार्मिक अरुणेंद्र सिंह चौहान की ओर से इसके आदेश किए गए हैं।

आयुर्वेद विवि में स्थापना के समय से ही भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थी। कई बार वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, भर्ती और परीक्षाओं में धांधली की शिकायतों पर जांच कराई गई लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी। जबकि विवि में गड़बड़ियों की शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। विवि में हो रही अनियमितताओं का मामला हाल में हुई सचिव समिति की बैठक में उठा था। इसके बाद अब आयुर्वेद विवि में हुए तमाम गड़बड़ियों की विजिलेंस जांच का निर्णय लिया गया है।

विजिलेंस जांच होने से अब विवि में हुई तमाम नियुक्तियों, खरीद फरोख्त और परीक्षाओं को लेकर सच्चाई सामने आएगी और इसके लिए दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो पाएगी। आयुर्वेद विवि अपनी स्थापना के समय से ही विवादों में है और कई बार कुलपतियों और कुलसचिवों को लेकर बड़े-बड़े विवाद भी खड़े हो चुके हैं।

आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील जोशी की नियुक्ति की न्यायिक जांच कराने का भी निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार राजभवन ने इस संदर्भ में सरकार को निर्देश दिए थे जिसके बाद शासन स्तर पर अब कुलपति की जांच कराने का निर्णय लिया गया है। कुलपति की जांच रिटायर्ड जज से कराई जा रही है। इसके लिए न्याय विभाग से रिटायर्ड जज के नामों का पैनल देने को कहा गया है। न्याय विभाग की ओर से पैनल मिलने के बाद जांच अधिकारी नियुक्त होगा और फिर कुलपति की नियुक्ति की जांच शुरू हो जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here