देहरादून: देहरादून के लाल एयरफोर्स विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने पहली बार में ही एवरेस्ट फतह कर खामोशी को शोर में तब्दील कर दिया। 21 मई को उन्होंने यह कामयाबी हासिल की और अब वह वहां से उतर रहे हैं।
इस बीच उन्होंंंने मीडिया से बातचीत में बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव पर विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर राष्ट्रगान गाने वाले वह पहले शख्स हैं। एवरेस्ट पर पहुंचकर राष्ट्रध्वज, भारतीय वायुसेना का ध्वज फहराकर, राष्ट्रगान गाया और सभी भारतीयों का मान बढ़ाया।
हिमालय की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर विजय पताका फहराने वाले विक्रांत का मानना है कि इस ऊंचाई को छूने के लिए कुछ पाने का जुनून, माता-पिता, भाई के साथ अपनों का आशीर्वाद और किस्मत का भरपूर साथ मिला, क्योंकि जब एवरेस्ट पर पहुंचा, उसके ठीक 30 मिनट बाद वहां का मौसम बेहद खराब हो गया। अगर चढ़ते समय मौसम खराब हुआ होता, तो पहली बार में एवरेस्ट छूने का सपना पूरा नहीं हो पाता। 1997 में एनडीए और वर्ष 2000 में कमीशन पाने वाले विक्रांत ने कहा कि वह खुशकिस्मत हैं कि किस्मत ने उनका पूरा साथ दिया।
टिहरी गांव के मूल निवासी और वर्तमान में देहरादून में रह रहे एके उनियाल और उमा उनियाल ने बताया कि बेटे के एवरेस्ट फतह करने से सभी खुश हैं। बकौल एके उनियाल बेटे से हुई बातचीत में उसने बताया कि दो से तीन जून को वह देहरादून स्थित निवास स्थान पर पहुंच जाएगा। उसके घर आने पर जश्न मनाएंगे।
विक्रांत के छोटे भाई और विंग कमांडर प्रशांत ने बताया कि भाई बचपन से ही जुझारू रहा है और वह एक बार जो ठान लेता है, उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेता है। दोनों भाइयों की पढ़ाई देहरादून के सेंट जोसफ कॉलेज राजपुर रोड से हुई है। उमा उनियाल ने बताया कि दोनों ने इंटर पास करते ही पहली बार में ही एनडीए पास किया था।