देहरादून: उत्तराखंड में आधार कार्ड की तरह ही हेल्थ आईडी कार्ड को लेकर कवायद शुरू हो गई है। जिसमें मरीज के स्वास्थ्य का पूरा ब्योरा होगा। जब भी कोई मरीज इलाज के लिए अस्पताल जाएगा तो हेल्थ कार्ड नंबर से डॉक्टर उसे पूर्व में हुई बीमारी और इलाज के बारे में जान सकेंगे, ताकि बेहतर इलाज दिया जा सके।

राज्य में राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) को लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत राज्य में हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम बनाकर पीएचसी, सीएचसी, बेस, जिला अस्पताल, महिला अस्पताल व सभी मेडिकल कॉलेजों को उससे जोड़ा जाएगा।

एचआईएमएस पूरी तरह से तैयार हो जाने पर उसे एनडीएचएम से जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद जब भी कोई व्यक्ति अपने इलाज के लिए किसी भी छोटे या बड़े सरकारी अस्पताल में जाएगा तो उसकी हेल्थ आईडी जनरेट हो जाएगी। इसके तहत मरीज को आधार कार्ड की तरह ही एक यूनिक नंबर दे दिया जाएगा।

इसके बाद वह व्यक्ति जहां भी इलाज के लिए जाएगा वहां डॉक्टर को अपना हेल्थ आईडी नंबर बताना होगा। डॉक्टर उस नंबर के से पुरानी बीमारी-इलाज की जानकारी प्राप्त कर आगे बेहतर इलाज कर सकेंगे। इसकी शुरुआत दून जिले से होने की बात कही जा रही है। जानकारी के अनुसार 300 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में काफी आसानी होगी।

मरीज के पास यह अधिकार भी रहेगा कि वह डॉक्टर को अपना हेल्थ आईडी नंबर बताए या नहीं। जब भी सिस्टम में मरीज की आईडी नंबर डाला जाएगा तो उसका ओटीपी मरीज के मोबाइल पर आएगा। मरीज ओटीपी बताएगा तभी डॉक्टर उसकी डिटेल देख सकेंगे।

एचआईएमएस में सभी सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। ताकि कोई भी डॉक्टर मरीज का इलाज शुरू करे तो उसे उन डॉक्टरों की भी जानकारी मिल सके, जिन्होंने मरीज का पहले इलाज किया है।

इस काम को अंजाम देने के लिए 12 लोगों की टीम गठित की जा चुकी है। जिसमें स्टेट एनडीएचएम इंटीग्रेशन इंचार्ज सुशीला तिवारी अस्पताल के सीएस गुरुरानी को बनाया गया है।

हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम पर काम शुरू हो चुका है। इसे चरणों में किया जाएगा। जिसके बाद हर बीमार व्यक्ति को आधार कार्ड की तरह यूनिक आईडी मिलेगी। इसकी तैयारी के लिए टीम गठित कर दी गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here