केदारनाथ: केदारनाथ धाम के पास चौराबाड़ी क्षेत्र में हिमस्खलन (एवलांच) के कारणों और इसके प्रभावों का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम केदारनाथ पहुंच गई है। इसमें वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग संस्थान के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। केदारनाथ मंदिर परिसर से करीब पांच से सात किमी दूर चौराबाड़ी क्षेत्र में हिमस्खलन की घटनाएं सामने आ रही थीं।

इसके वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। लिहाजा, रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन विभाग को भूगर्भीय टीम से अध्ययन कराने का आग्रह किया था। दूसरी ओर, वाडिया ने इसके लिए वैज्ञानिक नियुक्त कर दिए थे। आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला के साथ वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. मनीष मेहता और डॉ. विनीत कुमार केदारनाथ पहुंचे।

इस टीम में रिमोट सेंसिंग संस्थान के दो वैज्ञानिक भी शामिल हैं। देहरादून स्थित वाडिया संस्थान ने निदेशक डॉ. कालाचांद साईं ने बताया कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाएं सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन अध्ययन जरूरी है। इसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी। हवाई सर्वेक्षण भी किया जाएगा वैज्ञानिकों की टीम मंगलवार से केदारनाथ में काम शुरू कर देगी।

टीम चौराबाड़ी ग्लेशियर और उच्च हिमालयी क्षेत्र के निचले इलाकों में हिमस्खलन के बाद पैदा हुई स्थितियों का जायजा लेगी। साथ ही, हवाई सर्वेक्षण भी किया जाएगा। यह टीम दो-तीन दिन केदारनाथ में रहेगी।

वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमस्खलन तब होता है, जब ग्लेशियर में ज्यादा बर्फ जम जाती है। दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो यह अपनी जगह से खिसक जाती है। पहाड़ की ढलान वाली जगह अक्सर बर्फ नीचे खिसकती रहती है। छोटे-छोटे हिमस्खलन से ज्यादा खतरा नहीं रहता, लेकिन बड़े हिमस्खलन खतरनाक साबित होते हैं।

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