देहरादून : उत्तराखंड में अब सर्दी बढ़ गई है। एक दो दिन से सुबह शाम के तापमान में खासी गिरावट दर्ज की जा रही है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन राज्य में वर्षा-बर्फबारी के आसार जताए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, ताजा पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में सक्रिय है। जिससे रविवार को प्रदेश में कहीं-कहीं बादल छाये रह सकते हैं।
उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में वर्षा और बर्फबारी हो सकती है। अन्य जिलों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि के भी आसार हैं। अगले दो दिन में प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
देवाल क्षेत्र की पिंडर घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने वाला एकमात्र देवाल-खेता-मानमती मोटर मार्ग सुयालकोट के पास बिना वर्षा के हो रहे भूस्खलन से 17 दिन से क्षतिग्रस्त है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि सरोजनी बागड़ी, ने कहा मानमती , रामपुर, तोरती, हरमल, क्षलिया, कुंवारी, उदयपुर, सौरीगाड, उफथर आदि गांव में आवश्यक सामग्री सब्जियां, खाद्य पदार्थ नहीं पहुंचने से संकट गहराने के आसार बने है जबकि बीमारों को मामूली खांसी, जुकाम की दवाई लेने के लिए चार किमी पैदल चलकर देवाल मुख्यालय पहुंचना पड रहा है।
क्षेत्र प्रमुख दर्शन दानू, तहसीलदार प्रमोद नेगी, लोनिवि व पीएजीएसवाइ के अधिशासी अभियंता क्षेत्र का दौरा कर ग्रामीणों को शीघ्र पैदल मार्ग तैयार करने संबधी जानकारी दी।
वहीं उत्तराखंड में शनिवार देर शाम भूकंप के झटके महसूस किए गए। बीते आठ नवंबर से अब तक नेपाल और आसपास के क्षेत्रों में आधा दर्जन से अधिक भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं। जिनमें से ज्यादातर झटके उत्तराखंड में भी महसूस किए गए।
बीते नौ नवंबर को नेपाल में देर रात एक बजकर 57 मिनट पर आए 6.5 तीव्रता के भूकंप से भी उत्तराखंड में धरती थर्रा गई थी। ताजा मामले में शनिवार को रात करीब आठ बजे प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस कर लोग घरों से बाहर दौड़ पड़े।
शनिवार देर शाम 7.57 बजे उत्तराखंड में पिथौरागढ़ से देहरादून तक ज्यादातर क्षेत्रों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फार सिस्मोलाजी के अनुसार भूकंप का केंद्र नेपाल था और तीव्रता 5.4 थी। इसके अलावा भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर दर्ज की गई। इससे पहले शाम 4.28 बजे भी हल्के भूकंप के झटके महसूस हुए। इस भूकंप का केंद्र पौड़ी था और गहराई पांच किमी थी।