गोपेश्वर/ बद्रीनाथ   : केदारनाथ धाम की तर्ज पर अब बदरीनाथ धाम में भी प्राकृतिक गुफाओं को ध्यान गुफा का स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। इन गुफाओं के द्वार पर पत्थर की दीवार खड़ी कर दरवाजे लगाए गए हैं।

बदरीनाथ नगर पंचायत द्वारा तैयार किए गए इन ध्यान केंद्रों में आगामी यात्रा सीजन के दौरान श्रद्धालु ध्यान साधना कर सकेंगे। ध्यान केंद्रों के लिए शुल्क धाम के कपाट खुलने से पूर्व तय कर लिया जाएगा।

बदरीनाथ धाम में मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर ऋषि गंगा के किनारे नारायण पर्वत पर विशाल चट्टानों के नीचे प्राकृतिक गुफाएं मौजूद हैं। इनमें से दो गुफाओं को बदरीनाथ नगर पंचायत ने ध्यान केंद्र के रूप में विकसित किया है। इनसे शौचालय भी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दो अन्य गुफाओं को भी ध्यान केंद्र बनाया गया है।
यहां ठहरने वाले व्यक्ति को नगर पंचायत की ओर से योगा मैट व स्लीपिंग बैग उपलब्ध कराए जाएंगे। नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने बताया कि धाम के कपाट खुलने से पूर्व इन ध्यान केंद्रों के लिए बुकिंग शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए शुल्क निर्धारण के साथ ही आनलाइन बुकिंग की व्यवस्था भी की जा रही है।

बताया कि ध्यान केंद्र को सोलर लाइट सिस्टम से जगमग रहेंगे। खास बात यह कि ध्यान केंद्रों के पास से ही ऋषि गंगा की जलधारा भी बहती है। गुफाओं के ठीक सामने उरेडा की जल विद्युत परियोजना की नहर का पानी झरने के रूप में गिरता है। इससे वहां मनोहारी दृश्य बनता है।

नगर पंचायत ने इन ध्यान केंद्रों तक पहुंचने के लिए बामणी गांव के पुल से ऋषि गंगा के किनारे-किनारे पैदल ट्रैक भी बनाया है। इसे अब ऋषि गंगा रिवर फ्रंट ट्रैक के रूप में विकसित किया जाएगा। अधिशासी अधिकारी ने बताया कि पर्यटक व यात्री इस ट्रैक पर आवाजाही कर ध्यान केंद्रों का निश्शुल्क अवलोकन कर सकेंगे।

ध्यान केंद्रों को धार्मिक सर्किट से भी जोड़ा जा रहा है। तीर्थ यात्री बदरीनाथ धाम से 200 मीटर दूर पैदल चलकर लीलाढूंगी के दर्शन कर सकते हैं। कहते हैं कि यहां पर भगवान नारायण ने नवजात के रूप में भगवान शिव को दर्शन दिए थे। इसे भगवान नारायण का जन्म स्थान माना जाता है। यहां दर्शनों के बाद यात्री बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

लोक देवी नंदा हिमालय राज शिव की पत्नी हैं और यहां घर-घर में पूजित हैं। नंदा देवी मंदिर से मात्र सौ मीटर की दूरी पर सुंदरता की देवी उर्वशी का मंदिर है। शास्त्रों में बदरीनाथ धाम को उर्वशी पीठ के नाम से भी जाना गया है। यहां नवदंपति व युवक-युवतियां देवी उर्वशी से सुंदरता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। इस मंदिर से मात्र 200 मीटर की दूरी पर ध्यान केंद्र हैं।

नगर पंचायत की इस सर्किट को चरण पादुका ट्रैक से जोड़ने की भी योजना है। बदरीनाथ धाम से चरण पादुका डेढ़ किमी की दूरी पर है। यहां एक शिला पर भगवान नारायण की चरण पादुका के निशान हैं। इस ट्रैक पर तीर्थ यात्रियों की आवाजाही बनी रहती है।

केदारनाथ की पहाड़ी पर भी इसी तरह की तीन ध्यान गुफाएं बनी हैं। इनमें से सबसे पहले बनी गुफा में 18 मई 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ध्यान लगाया था। इसके बाद से यह गुफा ध्यान लगाने वालों की पसंदीदा बन गई।

गढ़वाल मंडल विकास निगम के रीजनल मैनेजर आरएस खत्री ने बताया कि मंदिर के ठीक सामने 800 मीटर की दूरी पर दुग्ध गंगा के निकट वाली पहाड़ी पर बनी इस गुफा में अब 312 साधक ध्यान लगा चुके हैं। गुफा का एक दिन का किराया तीन हजार रुपये निर्धारित है। धीरे-धीरे अन्य दो गुफाओं के प्रति भी श्रद्धालुओं का आकर्षण बढ़ रहा है।

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