देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में विवादों से घिरे रहने वाले कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने अपना और अपनी बीवी का नाम बदल दिया है यह घोषणा उन्होंने खुद इस प्रकार की है

मित्रों

आपसे अपना एक महत्वपूर्ण निर्णय साझा कर रहे हैं ; इस नव-नूतन वर्ष की बेला पर रानी साहिबा एवं हमने अपने-अपने नाम में तर्कसंगत परिवर्तन किया है ; क्योंकि

देवभूमि उत्तरांचल का निर्माण मातृशक्ति के बलिदान से हुआ है
व हमारी दादीजी भी पौड़ी लैंसडाऊन के पट्टी ज्योत-स्यूँ से ग्राम सीमार खाल की निवासी थी , जिनका नाम था रानी सरस्वती बिष्ट

तो रानी साहिबा ने उनको सम्मान देने हेतु ,

भारत की patriarchal society के विरुद्ध जाकर , उत्तराखंड में मातृशक्ति को सम्मान देने हेतु अपना surname (जो पहचान होता है) बदल कर matriarchal dominance लागू करते हुए “ बिष्ट “ रखा है

अब से वो होंगीं
रानी देवयानी बिष्ट

एवम्

हमनें विचारोप्रांत निर्णय लिया की अपने नाम में प्रत्याशित बदलाव करें

क्योंकि हम प्रतिनिधत्व करते हैं एक सांस्कृतिक धरोहर का , जो उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड की साझी है , और जब “टिहरी गढ़वाल राज्य” पर “गोरखा आक्रमण” सन् 1799 में किया गया था , और दोनों ही “पवांर राजवंश” के राज्य थे

तब टिहरी नरेश महाराज प्रदुमन शाह जी मदद माँगनें लंधौरा नरेश राजा रामदयाल सिंह जी के दरबार में पहुँचे

लंधौरा राज्य ने 12,000 की विशाल सेना सेनापति मनोहर सिंह व राजा लंधौरा के सुपुत्र कुँवर संवाई सिंह जी के सह-नेतृत्व में तत्काल गढ़वाल की अस्मिता की रक्षा को भेजी । सन् 1800 में देहरादून के खुड़बुड़ा में ज़बरदस्त युद्ध “टिहरी – लंधौरा संयुक्त सेना” एवम् “गोरखा सेना” के मध्य हुआ।

लंधौरा का और गढ़वाल का रिश्ता 222 , दो सौ बाईस साल पुराना है
जिसका नवीनीकरण 101 वर्ष पूर्व तब हुआ , जब हमारे दादाजी ने दादीजी से विवाह किया

हमारा नाम होगा
राजा प्रणव सिंह लंधौरा

आप सब की शुभकामनाओं के अभिलाषी 🙏

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