देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। उत्तराखंड शासन और प्रशासन ने जोशीमठ इलाके को आपदा की आशंका वाला क्षेत्र घोषित कर दिया है। यहां अब तक धंसाव की घटना के चलते 610 घरों दरारें पड़ गई हैं। पहले यह संख्या 561 थी। वहीं, जोशीमठ मामले को लेकर सीएम कैंप कार्यालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों के साथ एक अहम मीटिंग की है। बैठक में दो होटलों को गिराने का फैसला लिया गया है।इसके साथ ही पीड़ितों को गौचर और पीपलकोटी में बसाने की तैयारी सरकार कर रही है, जिसके लिए जगह चिन्हित किए जा रहे हैं। बैठक के बाद आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद जो हालात बने हैं, उसको लेकर राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारें गंभीर हैं. जोशीमठ में तेज गति से राहत और बचाव कार्य चला चलाया जा रहा है। अब तक जोशीमठ में 603 घरों को आपदा प्रभावित क्षेत्र के तहत चयनित किया गया है, जिनमें बड़ी और छोटी दरारें पाई गई हैं। 68 परिवारों को अब तक सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। इसके अलावा 38 परिवार किराए पर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए है। जिनका किराया सरकार की तरफ से दिया जा रहा है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि शासन ने जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में मौजूद दो बड़े होटल मलारी इन और माउंट व्यू होटल को गिराया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार अभी केवल इन्हीं दो होटलों की धवस्त करने का फैसला लिया गया है, जिसके लिए लोक निर्माण विभाग को उपकरण उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित दिए गए है। इन दोनों होटलों के अलावा अन्य जिन भवनों में दरारें आई है, उन पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। वहीं इसके अलावा जोशीमठ शहर के नीचे नदी से हो रहे भू-कटाव को रोकने के लिए सुरक्षा दीवार लगाने के तत्काल निर्देश दिए गए हैं। जोशीमठ में लगातार बढ़ रही दरारों से वहां मौजूद बिजली के पोल पर लगातार बन रहे खतरे को देखते हुए यूपीसीएल और पिटकुल के अधिकारियों को तत्काल जोशीमठ रवाना किया गया है।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में राहत और रिहैबिलिटेशन के कार्य के लिए राज्य स्तर पर एक हाई पावर कमेटी बनाई गई है। इसके साथ ही जिला स्तर पर भी एक कमेटी बनाई गई है, जो सभी विभागों के साथ और स्थानीय लोगों के साथ समन्वय स्थापित करेगी। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि शासन स्तर पर खुद मुख्य सचिव रोजाना 12 बजे जोशीमठ में चल रहे इन तमाम कार्यों की समीक्षा हर हाल में करेंगे।

बात दें कि जोशीमठ की मौजूदा स्थिति पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM), जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीम सर्वे करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। जोशीमठ में स्थिति हर दिन और ज्यादा खराब होती जा रही है। अब दरारें पहले से भी ज्यादा भयावह रूप लेती जा रही हैं। जो दरारें पहले महज दो इंच की थीं वो बढ़कर अब 8-9 इंच की हो गई हैं। लोगों को अतिसंवेदनशील जगहों से सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है।

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